All Party Meeting : मानसून सत्र शुरू होने से पहले केंद्र सरकार ने सभी पार्टियों की बुलाई बैठक, कांग्रेस ने किए ये सवाल

संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 21 अगस्त तक चलेगा।;

Update: 2025-07-20 08:15 GMT

नई दिल्ली। सोमवार से संसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला है। इससे पहले केंद्र सरकार ने सभी पार्टियों की बैठक बुलाई है। वहीं संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 21 अगस्त तक चलेगा। हालांकि स्वतंत्रता दिवस को देखते हुए 13 और 14 अगस्त को संसद की बैठक नहीं होगी।

कई पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं ने लिया हिस्सा 

बता दें कि मानसून सत्र में विपक्ष कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है। सत्र शुरू होने से पहले आज राजधानी में सभी पार्टियों की बैठक हुई, जिसमें कई पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया।

बैठक में कौन-कौन रहा शामिल?

बता दें कि इस बैठक में अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेता हिस्सा ले रहे हैं, जहां सरकार का प्रतिनिधित्व संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और उनके कनिष्ठ मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस के गौरव गोगोई और जयराम रमेश, राकांपा-शरद पवार की सुप्रिया सुले, द्रमुक के टी.आर. बालू और आरपीआई (ए) नेता एवं केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले भी बैठक में शामिल हो रहे हैं। 

सरकार ने कुल आठ नए विधेयकों को पेश करने की बनाई योजना   

मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार मानसून सत्र में कुल आठ नए विधेयकों को पेश करने की योजना बनाई है। मानसून सत्र के लिए प्रस्तावित विधेयकों में राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, भू-विरासत स्थल और भू-अवशेष (संरक्षण और रखरखाव) विधेयक, खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक शामिल है। भू-विरासत स्थलों और भू-अवशेषों के संरक्षण और सुरक्षा से संबंधित एक विधेयक भी शामिल है। 

कांग्रेस ने पूछे ये सवाल 

सर्वदलीय बैठक में शामिल होने के बाद कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि इस बार हमें पहले से अधिक उम्मीद है कि पीएम नरेंद्र मोदी संसद के माध्यम से देश को संबोधित करेंगे। कई अहम मुद्दे हैं जिन पर सरकार को अपनी बात रखनी चाहिए। पहला मुद्दा पहलगाम का है और उस पर उपराज्यपाल द्वारा दिए गए बयान भी गंभीर हैं। काफी समय बीत चुका है और अब सरकार को इस पर स्पष्ट रूप से अपनी स्थिति संसद में रखनी चाहिए। 

उन्होंने कहा कि दूसरा मुद्दा अमेरिकी राष्ट्रपति के हालिया बयान से जुड़ा है, जो भारत की गरिमा और हमारी सेना की वीरता पर सवाल उठाने का है। इसका जवाब सिर्फ भारत के प्रधानमंत्री ही दे सकते हैं। तीसरा अहम मुद्दा मतदान के अधिकार और चुनाव प्रक्रिया से जुड़ा है। आज जब चुनाव आयोग विभिन्न राजनीतिक दलों से संवाद से बच रहा है, स्पष्टता नहीं दे रहा है, तो आगामी राज्य चुनावों और लोकतांत्रिक ढांचे पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे में पीएम की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे संसद में आकर सरकार का पक्ष रखें।

महत्वपूर्ण है कि हम रक्षा और विदेश नीति पर बात करें

गोगोई ने कहा कि तीसरी बात ये है कि हमारे वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा उठाया है। चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ हमारी सीमा पर जो दो-मोर्चे की धुरी बन गई है, वह बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम रक्षा और विदेश नीति पर बात करें। पीएम मोदी का इस सदन में आना और इन तीनों विषयों पर अपने विचार रखना बहुत महत्वपूर्ण होगा।

कुछ महीनों में मणिपुर में शांति लौटेगी

उन्होंने कहा कि सरकार मणिपुर से संबंधित कई विधेयक ला रही है, लेकिन पीएम मोदी ने पहले कहा था कि कुछ महीनों में मणिपुर में शांति लौटेगी। अब लगभग ढाई साल बीत चुके हैं, लेकिन वहां अभी भी अशांति का माहौल बना हुआ है। पीएम छोटे-छोटे देशों की यात्रा तो करते हैं, लेकिन अपने ही देश के एक छोटे राज्य में, जहां अब भी हालात गंभीर हैं, वहां जाने से परहेज कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि आगामी संसद सत्र में इन सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर सकारात्मक और गंभीर चर्चा होगी और पीएम इन पर सदन में अपना पक्ष स्पष्ट करेंगे।

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