मानहानि केस में कोर्ट ने बढ़ाई राहुल गांधी की मुश्किलें
न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) अमोल शिंदे ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला गांधी द्वारा लंदन में दिए गए बयान से जुड़ा है, न कि सत्यकी सावरकर की मां हिमानी अशोक सावरकर के पारिवारिक वृक्ष से।;
शनिवार को एक अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें उन्होंने सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर की मां की पारिवारिक पृष्ठभूमि से जुड़ी जानकारी मांगी थी। यह मामला वी.डी. सावरकर पर की गई कथित टिप्पणी को लेकर दायर मानहानि केस से जुड़ा है।
न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) अमोल शिंदे ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला गांधी द्वारा लंदन में दिए गए बयान से जुड़ा है, न कि सत्यकी सावरकर की मां हिमानी अशोक सावरकर के पारिवारिक वृक्ष से।
हिमानी सावरकर, नाथूराम गोडसे के छोटे भाई गोपाल विनायक गोडसे की बेटी थीं।
गांधी की ओर से उनके वकील मिलिंद पवार ने अदालत में कहा कि शिकायतकर्ता ने शिकायत दर्ज करते समय अपने पिता की ओर का वंशवृक्ष प्रस्तुत किया है, लेकिन मां की ओर से जानकारी नहीं दी गई। बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि यह जानकारी सुनवाई के लिए जरूरी है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मामला हिमानी सावरकर के पारिवारिक वृक्ष से संबंधित नहीं है, इसलिए इस याचिका में कोई ठोस आधार नहीं है और इसे आगे की जांच के लिए भेजने की जरूरत नहीं है।
साथ ही, अदालत ने सत्यकी सावरकर की वह याचिका भी खारिज कर दी जिसमें उन्होंने राहुल गांधी की जमानत रद्द करने की मांग की थी।
सावरकर ने आरोप लगाया था कि 10 जनवरी 2025 से इस मामले में राहुल गांधी की दलील दर्ज की जानी थी, लेकिन वे अलग-अलग कारणों से प्रक्रिया को टालते रहे हैं।
इस पर अदालत ने कहा कि गांधी को पहले ही निजी पेशी से स्थायी छूट दी जा चुकी है और इस बात के कोई साक्ष्य नहीं हैं कि वे जानबूझकर देरी कर रहे हैं।
अदालत ने यह भी कहा कि याचिका में दिए गए आधार पर्याप्त नहीं हैं और इस वजह से इस पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जा सकती।
सत्यकी सावरकर ने मार्च 2023 में लंदन में दिए गए एक बयान को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि की शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि गांधी ने अपने भाषण में कहा कि वी.डी. सावरकर ने एक बार लिखा था कि उन्होंने और उनके दोस्तों ने एक मुस्लिम युवक की पिटाई की थी और उन्हें इससे खुशी हुई थी।
शिकायतकर्ता का कहना है कि सावरकर ने ऐसा कुछ भी नहीं लिखा और गांधी का बयान झूठा और दुर्भावनापूर्ण है।