मिसाइल से लेकर फाइटर जेट तक... ऑपरेशन सिंदूर में भारत-रूस ने दुनिया को दोस्ती का प्यादा दिखाया
भारत ने पाकिस्तान सहित कई मोर्चों पर अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया, जिसमें रूस से प्राप्त हथियार प्रणालियों ने अहम भूमिका निभाई।;
मिसाइल तकनीक से लेकर फाइटर जेट्स तक, भारत और रूस की दोस्ती हमेशा से रणनीतिक स्तर पर मजबूत रही है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान यह साझेदारी दुनिया के सामने और स्पष्ट होकर उभरी। भारत ने पाकिस्तान सहित कई मोर्चों पर अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया, जिसमें रूस से प्राप्त हथियार प्रणालियों ने अहम भूमिका निभाई। इस ऑपरेशन ने न केवल भारतीय सैन्य ताकत को उजागर किया, बल्कि यह भी साबित किया कि अंतरराष्ट्रीय रक्षा साझेदारियां कैसे युद्धक्षेत्र में निर्णायक मोड़ ला सकती हैं।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जल्द ही भारत का दौरा करने वाले हैं। उनकी इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उच्चस्तरीय वार्ता होगी, जिसमें रक्षा सौदों पर विशेष जोर रहने की संभावना है। अनुमान है कि इस बातचीत में भारत और रूस के बीच S-400 मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति, अतिरिक्त स्क्वैड्रनों की खरीद और रक्षा सहयोग को नए स्तर पर ले जाने पर चर्चा होगी। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान S-400 मिसाइल सिस्टम ने भारत की वायु सुरक्षा को अभेद्य बनाने में अहम योगदान दिया था। इसी वजह से भारत इस प्रणाली की अतिरिक्त इकाइयाँ हासिल करना चाहता है।
भारत ने वर्ष 2018 में लगभग 40 हजार करोड़ रुपये की लागत से S-400 प्रणाली के पांच स्क्वाड्रनों की खरीद के लिए समझौता किया था। इनमें से तीन स्क्वाड्रन की आपूर्ति हो चुकी है, जबकि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते बाकी दो की डिलीवरी लंबित है। अब माना जा रहा है कि मोदी-पुतिन मुलाकात के दौरान इनकी समयसीमा तय हो सकती है। इसके अलावा, रूस द्वारा पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान सुखोई-57 (Su-57) की खरीद का प्रस्ताव भी भारत के सामने रखा गया है। यह फाइटर जेट स्टील्थ तकनीक समेत कई आधुनिक क्षमताओं से लैस है, जो भारतीय वायुसेना के बेड़े को और मजबूत बना सकता है।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार भारत और रूस के संबंध केवल हथियार खरीद पर आधारित नहीं हैं, बल्कि वर्षों से साझा तकनीक, संयुक्त अनुसंधान और सहयोग की बुनियाद पर टिके हैं। भारत ने मिग-21, मिग-29, सुखोई-30 और टी-90 टैंकों के साथ अपनी सैन्य क्षमता में उल्लेखनीय सुधार किया है। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसे भारत और रूस ने मिलकर विकसित किया है। यह मिसाइल दुनिया में सबसे तेज क्रूज मिसाइल मानी जाती है और युद्ध क्षेत्र में इसकी सटीकता ने भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई है।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान रूसी तकनीक ने भारत को हवा, जमीन और समुद्र—तीनों मोर्चों पर बढ़त दिलाई। भारतीय वायुसेना ने इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, एंटी-मिसाइल कवच और रडार तकनीक के जरिए विपक्षी हमलों को विफल किया। यह साझेदारी वैश्विक स्तर पर संदेश देती है कि भारत और रूस का रक्षा सहयोग सिर्फ लेन-देन तक सीमित नहीं, बल्कि यह एक भरोसेमंद रणनीतिक गठबंधन का प्रतीक है।
अगर मोदी-पुतिन बैठक के दौरान नए रक्षा समझौते होते हैं, तो भारत की सैन्य शक्ति और भी मजबूत होगी। S-400 जैसे उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम और Su-57 जैसे अगली पीढ़ी के फाइटर जेट भारत की वायु क्षमता को नई ऊंचाई देंगे। रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले वर्षों में भारत-रूस साझेदारी दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।