भारत की नई ‘बायोफ्यूल डिप्लोमेसी’ – यूपीआई के बाद अब ऊर्जा निर्यात में दुनिया को देगा दिशा

यह कदम न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है बल्कि ऊर्जा आत्मनिर्भरता और विदेशी मुद्रा आय के लिए भी एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।;

By :  DeskNoida
Update: 2025-10-11 19:30 GMT

भारत अब डिजिटल पेमेंट क्रांति के बाद ऊर्जा क्षेत्र में भी एक नई दिशा तय करने जा रहा है। सरकार ने “बायोफ्यूल डिप्लोमेसी” की पहल की है, जिसके तहत भारत अगले कुछ वर्षों में बायोफ्यूल को वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख निर्यात उत्पाद बनाने की योजना पर काम कर रहा है। यह कदम न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है बल्कि ऊर्जा आत्मनिर्भरता और विदेशी मुद्रा आय के लिए भी एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत जल्द ही एथेनॉल, बायोडीजल और सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) के क्षेत्र में कई देशों के साथ साझेदारी समझौते करने जा रहा है। विशेष रूप से अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ बायोफ्यूल उत्पादन और वितरण में सहयोग की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने हाल ही में कहा कि “भारत आने वाले दशक में बायोफ्यूल के वैश्विक बाजार में प्रमुख भूमिका निभाएगा। जैसे डिजिटल पेमेंट सिस्टम ‘यूपीआई’ ने भारत की तकनीकी शक्ति को दुनिया के सामने रखा, वैसे ही बायोफ्यूल सेक्टर हमारी ऊर्जा क्षमता को प्रदर्शित करेगा।”

भारत सरकार ने 2025 तक पेट्रोल में 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य रखा है। साथ ही, भारत सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (SAF) उत्पादन पर भी तेजी से काम कर रहा है ताकि हवाई उड़ानों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सके।

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत का बायोफ्यूल कार्यक्रम किसानों के लिए भी वरदान साबित हो सकता है। इससे फसल अवशेष, गन्ने का गुड़, और अन्य जैविक अपशिष्टों से अतिरिक्त आय का स्रोत बनेगा।

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसियों का भी मानना है कि भारत की यह पहल आने वाले वर्षों में “ग्रीन एनर्जी एक्सपोर्ट हब” बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

Similar News