'ईरान भारत का पुराना मित्र रहा...' इजराइली हमले से गुस्से में सोनिया, सरकार के रूख पर उठाए सवाल

उन्होंने ईरान और भारत की दोस्ती का उदाहरण देते हुए कहा कि 1994 का जम्मू-कश्मीर मुद्दा सबसे यादगार है।;

Update: 2025-06-21 05:58 GMT

नई दिल्ली। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने एक लेख में मीडिल ईस्ट में चल रहे तनाव को लेकर अपनी बात रखते हुए एक लेख लिखा है। उन्होंने कहा ईरान शुरू से ही भारत का एक अच्छा दोस्त रहा है। कांग्रेस नेता ने इजराइल की तरफ से हमास और ईरान पर किए हमले की निंदा की। साथ ही मोदी सरकार के रुख पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि सरकार पुल का काम करे और देशों के बीच चल रहे तनाव को खत्म करने की कोशिश करे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उनके इस लेख को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक्स पर शेयर किया है।

क्या लिखा है लेख में

सोनिया गांधी ने इस लेख में लिखा कि ईरान भारत का पुराना मित्र रहा है और हमेशा से भारत और ईरान के संबंध अच्छे रहे हैं। उन्होंने ईरान और भारत की दोस्ती का उदाहरण देते हुए कहा कि 1994 का जम्मू-कश्मीर मुद्दा सबसे यादगार है। क्योंकि जब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया था, तो उस समय ईरान ने भारत का साथ देकर उस प्रस्ताव को रुकवाने में मदद की थी। सोनिया गांधी ने बताया कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान ने अपने पुराने शासन की तुलना में भारत का बहुत अधिक सहयोग किया है। उन्होंने कहा हालांकि ईरान के पुराने शासन यानी शाही राज्य ईरान ने 1965 और 1971 के युद्धों में पाकिस्तान का साथ दिया था।

भारत और इजराइल के बीच संबंध हो रहे हैं अच्छे

सोनिया गांधी ने अपने लेख में बताया कि पिछले कुछ दशकों से भारत और इजराइल के रणनीतिक संबंध भी मजबूत हो रहे है। उन्होंने कहा कि इस अनूठी स्थिति में भारत के पास शांति और संवाद का पुल बनने की कूटनीतिक ताकत और नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक अमूर्त सिद्धांत नहीं है, बल्कि उन सभी नागरिकों की सुरक्षा की बात है जो पश्चिम एशिया के देशों में रह रहे हैं और काम कर रहे है। उनकी सुरक्षा को गंभीरता से लेते हुए सरकार को विदेशी कूटनीति में अपनी स्थिति मजबूत करनी होगी।

फिलिस्तीन को लेकर सोनिया गांधी का सरकार पर अटैक

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया ने गांधी ने मोदी सरकार की नीतियों पर हमला करते हुए कहा कि इस मानवीय आपदा के सामने, मोदी सरकार ने शांतिपूर्ण दो-राज्य समाधान के लिए भारत की दीर्घकालिक और सैद्धांतिक प्रतिबद्धता को त्याग दिया है। जो एक संप्रभु, स्वतंत्र फिलिस्तीन की कल्पना करता है, जो आपसी सुरक्षा और सम्मान के साथ इजरायल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर रह सके।

सरकार पर साधा निशाना

बता दें कि सोनिया गांधी ने कहा कि इजराइल ने गाजा में तबाही मचा दी थी और अब ईरान पर लगातार हमले कर रहा है। इस तनाव पर भारत सरकार की चुप्पी यह दर्शाती है कि सरकार हमारे नैतिक और कूटनीतिक परंपराओं से पीछे हट रही है। उन्होंने कहा यह न केवल भारत की आवाज की कमी को दर्शाता है, बल्कि यह भारत के मूल्यों के आत्मसमर्पण भी है।

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