“भगवान राम मुस्लिम थे” बयान से मचा सियासी तूफान, ममता बनर्जी की पार्टी के विधायक मदन मित्रा पर भाजपा का हमला

सोशल मीडिया पर उनके एक भाषण की क्लिप तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें वे यह दावा करते नजर आ रहे हैं कि भगवान राम मुस्लिम थे।;

Update: 2025-12-18 19:30 GMT

पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बार फिर धार्मिक टिप्पणी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के विधायक मदन मित्रा ने भगवान राम को लेकर ऐसा बयान दिया है, जिसने सियासी माहौल को गरमा दिया है। सोशल मीडिया पर उनके एक भाषण की क्लिप तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें वे यह दावा करते नजर आ रहे हैं कि भगवान राम मुस्लिम थे। इस बयान के सामने आते ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कड़ा ऐतराज जताया है और इसे हिंदू भावनाओं का अपमान बताया है।

भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मदन मित्रा के भाषण का वीडियो साझा किया और कहा कि यह बयान हिंदू आस्था पर सीधा हमला है। पार्टी ने आरोप लगाया कि टीएमसी नेता लगातार हिंदू धर्म और परंपराओं का मजाक उड़ाते रहे हैं और यह बयान उसी मानसिकता को दर्शाता है। भाजपा नेताओं का कहना है कि इस तरह की टिप्पणियां समाज में धार्मिक तनाव पैदा कर सकती हैं।

वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि मदन मित्रा अपने भाषण की शुरुआत एक हिंदू श्लोक से करते हैं। इसके बाद वे भाजपा पर हमला बोलते हुए कहते हैं कि उनकी टिप्पणियां किसी धर्म के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि भाजपा नेतृत्व की हिंदू धर्म को लेकर समझ पर सवाल उठाने के लिए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा हिंदू धर्म की गलत व्याख्या करती है और राजनीतिक लाभ के लिए आस्था का इस्तेमाल करती है।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने मदन मित्रा के बयान की तीखी निंदा की है। उन्होंने कहा कि टीएमसी विधायक का यह दावा कि भगवान श्री राम मुस्लिम थे और हिंदू नहीं, जानबूझकर हिंदू धर्म का अपमान है। भंडारी ने आरोप लगाया कि यह टीएमसी के पतन का प्रतीक है और पार्टी रोजाना हिंदू विश्वास पर हमले कर रही है।

अपने बयान को सही ठहराते हुए मदन मित्रा ने एक कथित व्यक्तिगत बातचीत का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि एक बार दिल्ली में उन्होंने एक वरिष्ठ भाजपा नेता को चुनौती दी थी कि वे साबित करें कि भगवान राम हिंदू थे। मित्रा के अनुसार उन्होंने पूछा था कि राम का उपनाम क्या था, लेकिन वहां मौजूद कोई भी नेता इसका जवाब नहीं दे सका। उन्होंने दावा किया कि भाजपा के वरिष्ठ नेता, जिनमें विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी भी शामिल हैं, इस सवाल का उत्तर देने में विफल रहे।

मदन मित्रा ने आगे यह भी कहा कि बाद में एक हिंदू साधु ने उन्हें बताया कि भगवान राम का उपनाम ‘रामजेठमलानी’ था। इसके बाद उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में सवाल किया कि क्या कोई हिंदू इस पर विश्वास करेगा और ऐसे लोगों की पूजा करेगा। मित्रा ने दोहराया कि उनकी बातों का मकसद भाजपा की हिंदू धर्म को लेकर सतही समझ का मजाक उड़ाना था, न कि किसी धर्म का अपमान करना।

विवाद बढ़ने के बावजूद मदन मित्रा ने कहा कि उन्हें किसी राजनीतिक परिणाम का डर नहीं है। उन्होंने खुले तौर पर कहा कि वह अपने बयान पर कायम हैं और भाजपा उनका क्या बिगाड़ लेगी। इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि राजनीति में धार्मिक आस्था पर दिए जाने वाले बयानों की सीमाएं क्या होनी चाहिए। फिलहाल, इस बयान को लेकर बंगाल की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है।

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