सपा सांसद सुमन के घर हमले में बड़ा एक्शन, आठ आरोपियों पर चार्जशीट, धाराएं हुईं कड़ी

यह कार्रवाई तब सामने आई है जब हमले से जुड़े वीडियो, सोशल मीडिया पोस्ट और स्थल साक्ष्यों के आधार पर कई चरणों में विस्तृत जांच पूरी की गई।;

Update: 2025-12-04 19:30 GMT

सपा के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन के घर पर हुए हमले के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। इस बहुचर्चित प्रकरण में पुलिस ने आठ आरोपियों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है, जबकि मुख्य आरोपित ओकेंद्र राणा और मोहित सिकरवार के खिलाफ विवेचना अभी जारी है। यह कार्रवाई तब सामने आई है जब हमले से जुड़े वीडियो, सोशल मीडिया पोस्ट और स्थल साक्ष्यों के आधार पर कई चरणों में विस्तृत जांच पूरी की गई।

घटना 26 मार्च को हुई थी, जब करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने आगरा के संजय प्लेस स्थित एचआईजी फ्लैट पर धावा बोल दिया था, जहां सपा सांसद रामजीलाल सुमन रहते हैं। बताया जाता है कि राणा सांगा पर विवादित टिप्पणी को लेकर करणी सेना आक्रोशित थी और इसका ऐलान सोशल मीडिया पर पहले ही कर दिया गया था। पुलिस को इस विरोध प्रदर्शन की सूचना थी, इसलिए बैरियर लगाए गए थे, लेकिन करणी सेना के देर रात पहुंचे कार्यकर्ताओं ने बैरियर तोड़ते हुए जोरदार पथराव किया। इस दौरान घर की खिड़कियों के शीशे टूट गए और वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए।

इस हमले में कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे। आरोप है कि ओकेंद्र राणा ने गाड़ी से बैरियर को धक्का देकर सुरक्षा व्यवस्था को तोड़ा, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। घटना के बाद सपा सांसद के बेटे रणजीत सुमन ने हरीपर्वत थाने में मुकदमा दर्ज कराया। आरोपियों पर बलवा, मारपीट, गाली-गलौज, तोड़फोड़, जान से मारने की धमकी, लूटपाट जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे। जांच की जिम्मेदारी पहले उपनिरीक्षक इसरार अहमद को दी गई, फिर धर्मेंद्र सिंह और बाद में इंस्पेक्टर क्राइम सत्येंद्रपाल सिंह को सौंप दी गई।

17 मई 2025 को इस मामले में एसआईटी का गठन किया गया। जांच के दौरान एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब वादी रणजीत सुमन ने एससी श्रेणी का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया। इसके बाद तत्कालीन एसीपी हरीपर्वत विनायक भौसले ने इस केस में एससी/एसटी एक्ट की धाराएँ भी जोड़ दीं। इससे मामले की गंभीरता बढ़ गई और आरोपियों को अब कोर्ट में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

आठ लोगों पर चार्जशीट

जिन आरोपियों पर चार्जशीट दाखिल हुई है, वे हैं—

विनय प्रताप सिंह जादौन (अवागढ़), योगेंद्र सिंह जादौन (जलेसर), संदीप परमार (जगनेर), अजय उर्फ राहुल जादौन (फिरोजाबाद), अभिजीत सिंह सिरकवार (एत्मादपुर), दीपक सिसौदिया (अछनेरा), नरेश सिंह (फिरोजाबाद) और शिवम कुमार (सादाबाद)। इन सभी के खिलाफ मारपीट, बलवा, तोड़फोड़, धमकी देने और एससी/एसटी एक्ट की धाराओं में मुकदमा आगे बढ़ेगा।

मुख्य आरोपी ओकेंद्र राणा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की हुई है, इसी कारण उसके और मोहित सिकरवार के खिलाफ जांच अभी लंबित है।

बढ़ी मुश्किलें, अब करानी पड़ेगी जमानत

शुरुआत में पुलिस ने मामूली धाराएं लगाई थीं, जिसके चलते सात आरोपियों को नोटिस देकर छोड़ दिया गया था। लेकिन एससी/एसटी एक्ट जुड़ने के बाद मामला गंभीर हो गया है। इससे आरोपियों की जमानत अनिवार्य हो गई है और केस अब साधारण नहीं रह गया।

यह मामला न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि राजनीतिक हालातों और सोशल मीडिया के प्रभाव को भी उजागर करता है। आने वाले समय में इस केस की सुनवाई राजनीतिक और कानूनी दोनों स्तरों पर खास असर डाल सकती है।

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