जीवनसाथी द्वारा आत्महत्या की धमकी देना क्रूरता है...बॉम्बे हाईकोर्ट ने तलाक के मामले में सुनाया फैसला!

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ ने सुनाया है।;

By :  Aryan
Update: 2025-11-19 12:58 GMT

मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने तलाक के एक मामले पर खास टिप्पणी की है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि जीवनसाथी द्वारा लगातार आत्महत्या करने की धमकी देना क्रूरता की श्रेणी में आता है। बता दें कि यह आदेश मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ ने सुनाया है। कोर्ट ने अपने हाल ही में पारित आदेश में भी कहा है कि जब ऐसा आचरण दोहराया जाता है, तो पति या पत्नी के लिए वैवाहिक संबंध चला पाना कठिन हो जाता है।

धमकी और आत्महत्या का प्रयास करना तलाक का आधार

यह आदेश तब पारित किया गया, जब एक व्यकित ने पारिवारिक अदालत के 2019 में दिए गए आदेश को चुनौती दी थी। दरअसल पारिवारिक अदालत ने व्यक्ति की तलाक की अर्जी खारिज कर दी थी। याचिका के अनुसार, व्यक्ति की शादी 2006 में हुई थी, लेकिन वैवाहिक मतभेद के कारण 2012 पति अपनी पत्नी से अलग रह रहा था। व्यक्ति ने दावा किया कि अलगाव, धमकी और आत्महत्या का प्रयास करना हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक देने के आधार हो सकता है।

पीठ ने आदेश में कहा

पीठ ने आदेश में कहा कि पति-पत्नी एक दशक से अधिक समय से अलग-अलग रह रहे हैं और उनके बीच न तो कोई अच्छा रिश्ता हो पाया है और न ही मेल-मिलाप। अदालत ने कहा कि व्यक्ति ने क्रूरता के कई उदाहरण पेश किया था, लेकिन पारिवारिक अदालत ने उन पर विचार नहीं किया। पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा जिसमें कहा गया था कि जीवनसाथी द्वारा आत्महत्या की धमकी देना क्रूरता है।

गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि जब इस तरह का आचरण दोहराया जाता है, तो दंपती के लिए वैवाहिक संबंध जारी रख पाना असंभव हो जाता है।


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