सोराइसिस की बीमारी होने के क्या हैं कारण, जानें इसके निवारण के उपाय
यह बच्चों, किशोरों और बड़ो को भी हो सकता है। अक्सर यह 15 से 35 साल या 50 साल के बाद दिखता है।;
नई दिल्ली। सोरायसिस (Psoriasis) एक चर्म रोग है और यह किसी को भी हो सकता है। लेकिन कुछ लोगों में इसका खतरा अधिक होता है। दरअसल कोशिकाओं को बनने और झड़ने में लगभग एक महीने का समय लगता है, लेकिन जब हमारी त्वचा पर सोरायसिस नाम की बीमारी हो जाती है, तो सेल तेजी से बनने लगती हैं और त्वचा की ऊपरी सतह पर इकट्ठा होकर पपड़ीदार परत बना लेती हैं
सोरायसिस किसे अधिक होता है?
परिवार में माता-पिता या किसी करीबी रिश्तेदार को सोरायसिस है, तो जोखिम बढ़ जाता है। यह बच्चों, किशोरों और बड़ो को भी हो सकता है। अक्सर यह 15 से 35 साल या 50 साल के बाद दिखता है।
इम्यून सिस्टम से जुड़ा कारण
यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है। जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से त्वचा पर असर डालती है।
तनाव (Stress)
अधिक मानसिक तनाव से यह शुरू या बढ़ सकता है।
संक्रमण (Infection)
जैसे गले का इंफेक्शन (खासतौर पर बच्चों में)।
मोटापा, धूम्रपान, शराब
ये चीजें बीमारी को बढ़ा सकती हैं।
ठंडा मौसम या त्वचा पर चोट
सर्दियों में या कट-खरोंच के बाद लक्षण बढ़ सकते हैं।
खास बात
सोरायसिस छूत की बीमारी नहीं है। सही इलाज और देखभाल से इसे कंट्रोल किया जा सकता है।
सोरायसिस से बचाव के उपाय
सोरायसिस से पीड़ित लोगों को रोजाना व्यायाम और योग को अपने डेली रूटीन में शामिल करना चाहिए, जिससे शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है। हल्दी सोरायसिस के मरीजों के लिए एक बेहतरीन प्राकृतिक औषधि है, जो कि हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन नाम का औषधीय तत्व शरीर के अंदर की सूजन को कम करने में मदद करता है।