सफलता के लिए भ्रमजाल तोड़ना होगा- अतुल सहगल
माया का भ्रमजाल -कब टूटेगा विषय पर गोष्ठी सम्पन्न;
गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में माया का भ्रम जाल विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कोरोना काल से 745 वां वेबिनार था।
वैदिक प्रवक्ता अतुल सहगल ने कहा
वैदिक प्रवक्ता अतुल सहगल ने कहा कि समाज के सामान्य जन के जीवन में इस विषय की महत्ता का विशेष महत्व है। माया शब्द का अशुद्ध अर्थ ही हमें प्रायः बताया जाता है,विशेषतः तथाकथित पौराणिक विद्वानों द्वारा। ऐसा कहा जाता है कि- ब्रह्म सत्य, जगन्मिथ्या'। ऐसे वचन अधिकतर नवीन वेदांतियों के मुख से सुनने को मिलते हैं और इस तथाकथित मिथ्या जगत को माया का नाम दे दिया जाता है। पर वास्तव में माया तो भ्रम का नाम है जो असत्य,अविद्या से उपजता है। इस तथ्य को हम सबके लिए समझना अत्यंत आवश्यक है।
माया ही हमारे जीवन में दुखों का और हमारी दुर्गति का कारण है
वक्ता ने विषय को प्रस्तुत करते हुए कहा कि माया ही हमारे जीवन में दुखों का और हमारी दुर्गति का कारण है। अविद्या जो माया की जननी है,हमें धर्म मार्ग से भटकाती है और हमारे सब दुखों,कष्टों और समस्यायों का कारण बनती है। हमें इसे दूर करना होगा,माया के इस भ्रमजाल को तोड़ना होगा। वक्ता ने माया के विभिन्न सांसारिक कारणों कि चर्चा की और तत्पश्चात अनेक दैनिक जीवन से उधृत भ्रम के उदाहरण विस्तार से सामने रखे। वक्ता ने कहा कि माया के भ्रमजाल को तोड़ने के लिए सत्य को पकड़ना आवश्यक है और इसके लिए शुद्ध ज्ञान,सत्य ज्ञान को ग्रहण करना होगा। उसके लिए हम आर्ष ग्रंथों का अध्ययन करें,विद्वानों से शिक्षा लें, तर्क से काम लें और अपने विवेक को प्रबल बनायें। वक्ता ने विषय के विभिन्न पहलुओं की चर्चा की और बड़े विस्तार से भ्रम निवारण के उपायों की व्याख्या की। वक्ता ने इस बात पर बल दिया कि भ्रम निवारण के लिए विद्या और तप आवश्यक हैं। इसके लिए जड़ जगत में आसक्ति को भी कम करना होगा और राग से दूर हटना होगा। विवेक बिना वैराग्य नहीं,वैराग्य बिना विज्ञान नहीं और विज्ञान बिना शांति नहीं।
जीवात्मा अनेक खट्टे मीठे अनुभव लेता है
वक्ता ने आगे कहा कि आतंरिक शांति की अवस्था में ही विद्या का ग्रहण और वर्धन संभव है। भ्रम निवारण की प्रक्रिया में प्रायः लम्बा समय लगता है और जीवात्मा अनेक खट्टे मीठे अनुभव लेता है। लेकिन जीवात्मा की उन्नति के लिए भ्रमजाल को तो तोड़ना ही होगा। माया के भ्रमजाल में जकड़े रहकर हमारी सर्वांगीण उन्नति में बाधा आती है। हम सही दिशा में प्रयास नहीं करते और हमारी ऊर्जा व्यर्थ जाती है। इसलिए मानव जीवन की सफलता के लिए माया के भ्रमजाल को काटना ही होगा।
गौरतलब है कि मुख्य अतिथि आर्य नेत्री पूजा सलूजा व अध्यक्ष राजश्री यादव ने भी इस विषय पर प्रकाश डाला। परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया व प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
वहीं गायिका कौशल्या अरोड़ा, शोभा बत्रा, संतोष धर, जनक अरोड़ा, कमला हंस, सरला बजाज, सुधीर बंसल आदि ने मधुर भजन सुनाए।