चौंकिए मत यह सच है... 14 साल की लड़की का शरीर पत्थर में हो रहा है तब्दील!जानें इस बारे में डॉक्टर का कहना
दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित और दुर्गम आदिवासी इलाके अबूझमाड़ से एक बेहद दर्दनाक और झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। बता दें कि दंतेवाड़ा जिले (अबूझमाड़ क्षेत्र) की 14 वर्षीय किशोरी राजेश्वरी एक अत्यंत दुर्लभ आानुवंशिक त्वचा रोग से जूझ रही है, जिसे चिकित्सीय भाषा में इचथियोसिस हाइस्ट्रिक्स (Ichthyosis Hystrix) कहा जाता है।
बीमारी का स्वरूप
यह एक दुर्लभ जेनेटिक डिसऑर्डर है जिसमें शरीर पर मोटी, कठोर और कांटेदार परतें (scales) उग आती हैं, जो पत्थर या पेड़ की छाल जैसी दिखाई देती हैं। इसे बोलचाल की भाषा में "स्टोन मैन सिंड्रोम" के समान माना जा रहा है क्योंकि त्वचा पत्थर जैसी सख्त हो जाती है।
त्वचा का अत्यधिक कठोर और खुरदरा होना
- शरीर पर कांटेदार और शल्क जैसी परतों का बनना।
- हाथ-पैरों का असामान्य रूप से मोटा होना और जोड़ों में अकड़न के कारण चलने-फिरने में भारी कष्ट होना।
प्रभाव
वर्तमान में राजेश्वरी का पूरा शरीर इन परतों से ढका हुआ है, जिससे उसका दैनिक कार्य करना भी पीड़ादायक हो गया है। हालांकि, चेहरे पर इसका प्रभाव फिलहाल कम है। यह समस्या राजेश्वरी को महज 4 साल की उम्र से शुरू हुई थी। साल 2020 में भी इसका वीडियो वायरल हुआ था, और दिसंबर 2025 में एक बार फिर यह मामला चर्चा में है क्योंकि परिवार ने मुख्यमंत्री से मदद की गुहार लगाई है।
चार साल की उम्र से शुरू हुआ दर्द
परिजनों के अनुसार, राजेश्वरी को यह समस्या महज चार साल की उम्र से होने लगी थी। शुरुआत में उसके शरीर पर छोटे-छोटे फफोले उभरे, लेकिन समय के साथ वे सख्त होते चले गए और धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल गए। आज हालात यह हैं कि उसके हाथ, पैर, टांगें और शरीर के अधिकांश हिस्से मोटी, खुरदरी और दरारों वाली परतों से ढक चुके हैं। उसकी त्वचा इतनी कठोर हो गई है कि वह पेड़ की छाल या पत्थर जैसी प्रतीत होती है। हालांकि फिलहाल चेहरे पर इसका प्रभाव कम है, लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द इतना गंभीर है कि वह ठीक से चल-फिर, बैठ या दैनिक गतिविधियां नहीं कर पाती।
इलाज नहीं, लेकिन देखभाल से मिल सकती है राहत
इस बीमारी का कोई स्थायी इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन नियमित दवाओं और उपचार से इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार-
- नियमित मॉइस्चराइज़र
- केराटोलाइटिक क्रीम (जैसे यूरिया आधारित)
- सही त्वचा देखभाल और निरंतर चिकित्सकीय निगरानी से मरीज की स्थिति में कुछ हद तक सुधार और दर्द में राहत संभव है।