हॉस्टल में 18 वर्षीय छात्रा की संदिग्ध हालात में मौत, पिता ने कहा मेरी बहादुर बेटी ने रैगिंग का विरोध किया था, हत्या का आरोप
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इसे आत्महत्या बताया है, परिजनों का आरोप है कि रैगिंग का विरोध करने पर उसकी हत्या की गई;
नैनीताल। उत्तराखंड के नैनीताल जिले के भीमताल स्थित ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली लखनऊ निवासी 18 वर्षीय छात्रा की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। इसे यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इसे आत्महत्या बताया है, लेकिन परिवारजन इसे साजिशन हत्या करार दे रहे हैं। छात्रा वासवी ने हॉस्टल में जूनियर की रैगिंग का विरोध किया था। उसी रात उसने परिवार को कॉल कर सीनियरों की हरकतों का वीडियो भी भेजा। अगली शाम कॉलेज ने पिता को वासवी की तबीयत खराब होने की जानकारी दी लेकिन जब वे पहुंचे, तब तक वासवी की मौत हो चुकी थी।
मेरी एक ही बेटी थी,अब वह भी नहीं रही
मां बीनू सिंह का कहना है मेरी एक ही बेटी थी, अब वह भी नहीं रही। अगर दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो कोई माता-पिता अपनी बेटियों को बाहर कैसे पढ़ने भेजेगा? हमें बस न्याय चाहिए।
हास्टल में फंदे पर लटकी मिली छात्रा
जानकारी के मुताबिक बीसीए सेकेंड ईयर की छात्रा वासवी तोमर अपने हॉस्टल के कमरे में फंदे पर लटकी मिली। आनन-फानन में छात्रा को भवाली स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मौत की सूचना मिलते ही लखनऊ स्थित उसके परिजन उत्तराखंड पहुंच गए।
देर रात हुई आखिरी कॉल में बेटी से बात, रैगिंग का किया विरोध
लखनऊ के मड़ियांव थाना क्षेत्र की रहने वाली वासवी तोमर भीमताल स्थित ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटीएरा यूनिवर्सिटी में बीसीए सेकेंड ईयर की छात्रा थी। बताया जाता है कि मंगलवार रात उसने अपने पिता को फोन कर बताया कि उसकी रूममेट जूनियर छात्रा की हॉस्टल की अन्य सीनियर लड़कियां रैगिंग कर रही हैं। वासवी ने इस रैगिंग का जमकर विरोध किया और वीडियो बनाकर पिता को भेजा। परिवार ने कहा कि वो डरती नहीं थी, अगर उसे डर होता तो आवाज ही क्यों उठाती?
पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर परिजनों ने उठाए सवाल
बता दें कि भाई आयुष सिंह ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला घोंटे जाने के निशान हैं, जो आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या की ओर इशारा करते हैं। वहीं, चाचा अनुज सिंह का कहना है कि यूनिवर्सिटी सुसाइड नोट होने की बात कह रही है, लेकिन अब तक न परिजनों को नोट दिखाया गया है, न ही प्रशासन ने किसी छात्रा से खुलकर बात करने दी है। परिजनों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन पूरे मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है। हॉस्टल की छात्राओं को चुप रहने और परिजनों से बात न करने की हिदायत दी गई है।