बांग्लादेश में दीपू चंद्र दास हत्याकांड में बड़ी कार्रवाई, 10 आरोपी गिरफ्तार; भीड़ हिंसा पर उठे गंभीर सवाल
घटना के दो दिन बाद 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह मामला न केवल बांग्लादेश बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गहरी चिंता और आक्रोश का कारण बन गया है।;
बांग्लादेश के मयमनसिंह जिले के भालुका इलाके में ईशनिंदा के आरोप में 25 वर्षीय फैक्ट्री कर्मचारी दीपू चंद्र दास की पीट-पीटकर हत्या के मामले में प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। घटना के दो दिन बाद 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह मामला न केवल बांग्लादेश बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गहरी चिंता और आक्रोश का कारण बन गया है।
जानकारी के अनुसार, दीपू चंद्र दास एक फैक्ट्री में काम करता था। उस पर ईशनिंदा का आरोप लगने के बाद आक्रोशित भीड़ ने उसे बेरहमी से पीटा। भीड़ यहीं नहीं रुकी, बल्कि उसकी हत्या करने के बाद शव को एक मुख्य सड़क पर पेड़ से लटका दिया गया और आग लगा दी गई। इस पूरी घटना का लाइव प्रसारण सोशल मीडिया पर किया गया, जिसने मानवता को झकझोर कर रख दिया।
रैब और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई
मयमनसिंह स्थित रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) के कार्यालय ने शनिवार को बताया कि गिरफ्तार किए गए 10 आरोपियों में से सात को रैब ने और तीन को स्थानीय पुलिस ने अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी कर पकड़ा है। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान लिमोन सरकार (19), तारेक हुसैन (19), माणिक मियां (20), इरशाद अली (39), निझुम उद्दीन (20), आलमगीर हुसैन (38), मिराज हुसैन (46), अजमल सगीर (26), शाहीन मियां (19) और नजमुल (21) के रूप में हुई है।
रैब के अपर पुलिस अधीक्षक शम्सुज्जामन के मुताबिक, सभी आरोपियों को कानूनी प्रक्रिया के तहत पुलिस को सौंप दिया जाएगा। रैब का दावा है कि फैक्ट्री के एक फ्लोर मैनेजर आलमगीर हुसैन ने पहले दीपू पर नौकरी से इस्तीफा देने का दबाव बनाया और फिर उसे उग्र भीड़ के हवाले कर दिया। इसके अलावा उसी फैक्ट्री के क्वालिटी मैनेजर मिराज हुसैन आकन की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया है।
भीड़ के हवाले क्यों किया गया युवक?
जांच एजेंसियां इस सवाल का जवाब तलाशने में जुटी हैं कि पुलिस को सूचना देने के बजाय दीपू चंद्र दास को भीड़ के हवाले क्यों किया गया। अधिकारियों को शक है कि इसके पीछे या तो पुरानी रंजिश थी या फिर भीड़ के दबाव में यह कदम उठाया गया। यह मामला बांग्लादेश में भीड़ हिंसा और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर बहस को जन्म दे रहा है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भारत से बयान
इस घटना पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। प्रसिद्ध लेखिका तस्लीमा नसरीन ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि दीपू पर एक सहकर्मी ने मामूली विवाद के बाद झूठा ईशनिंदा का आरोप लगाया था, जिसके चलते यह भयावह घटना हुई।
भारत में भी राजनीतिक नेताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने इसे 21वीं सदी को शर्मसार करने वाली बर्बरता बताया और कहा कि यह मानवता की हार है। उन्होंने बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की। वहीं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस मामले पर गहरी चिंता जताते हुए भारत सरकार से आग्रह किया कि वह बांग्लादेशी अधिकारियों के समक्ष अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा मजबूती से उठाए।
मानवाधिकारों पर फिर सवाल
दीपू चंद्र दास की हत्या ने एक बार फिर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति, ईशनिंदा कानूनों के दुरुपयोग और भीड़ हिंसा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। फिलहाल जांच जारी है और प्रशासन का कहना है कि इस मामले में दोषियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए हर जरूरी कदम उठाया जाएगा।