अमेरिका देगा तुर्किए को खतरनाक मिसाइलें! अमेरिका की मंशा पर उठे सवाल, जानें क्या है विशेषज्ञों की राय
अमेरिका ने तुर्किए को 304 मिलियन डॉलर की मिसाइलें बेचने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।;
नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव में तुर्किए ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया है। तुर्किए ने भारत के खिलाफ सैकड़ों ड्रोन और मिलिट्री ऑपरेटिव भेजकर उसकी मदद की और आंतकवाद को अपना सहयोग दिया। जिसके बाद भारतीय लोगो का गुस्सा सोशल मीडिया पर देखने को मिला। जहां #BoycottTurkey ट्रेंड करने लगा और व्यापार से लेकर पर्यटन तक, भारत ने तुर्किए से दूरी बनानी शुरू कर दी, लेकिन अब इसी बीच अमेरिका ने तुर्किए को मिसाइलें बेचने का फैसला लिया, जिसके बाद बहस का नया विषय शुरू हो गया है। भारत में अमेरिका की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं।
304 मिलियन डॉलर की मिसाइलों के प्रस्ताव को मंजूरी
बता दें कि अमेरिका ने तुर्किए को 304 मिलियन डॉलर की मिसाइलें बेचने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। यह मंजूरी ऐसे समय पर दी गई जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है और तुर्किए खुले तौर पर पाकिस्तान की मदद और समर्थन कर रहा है। मिसाइल डील में तुर्किए को हवा से हवा में मार करने वाली AIM-120 AMRAAM मिसाइलें शामिल हैं। इसके साथ ही तुर्किए ने 225 मिलियन डॉलर की लागत से 53 एडवांस मीडियम रेंज मिसाइल और 79.1 मिलियन डॉलर की लागत से 60 ब्लॉक सेकंड मिसाइलों की मांग की है। यह डील अमेरिका की रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी (DSCA) की तरफ से प्रस्तावित की गई है, लेकिन अभी इसे अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी मिलनी बाकी है।
तुर्किए ने किया पाकिस्तान का समर्थन
भारत पाकिस्तान के बीच आंतक विरोधी लड़ाई में जहां दुनिया के कई देश भारत का समर्थन कर रहे है। ऐसे में तुर्किए ने पाकिस्तान को अपना समर्थन दिया। साथ ही पाकिस्तान को 350 से अधिक ड्रोन और ऑपरेट करने वाले सैनिक मुहैया कराए थे। इन ड्रोन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों और सीमा पार निगरानी के लिए किया गया। तुर्किए ने भारत के खिलाफ दिए गए बयानों में भी पाकिस्तान का समर्थन किया है।
क्या है विशेषज्ञों की राय
भारत में कई विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका का यह कदम उसकी दोहरी नीति को दर्शाता है। एक तरफ वह भारत को QUAD जैसे मंचों पर रणनीतिक साझेदार कहता है और दूसरी ओर पाकिस्तान को समर्थन देने वाले देश को हथियार मुहैया करा रहा है। इससे भारत और अमेरिका के रिश्तों में अविश्वास की दरार पड़ सकती है।
हालांकि, अमेरिका का तर्क है कि यह डील नाटो सहयोगी के तौर पर तुर्किए की सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए है, न कि भारत के खिलाफ कोई साजिश। कूटनीतिक रूप से देखा जाए तो इस डील का समय और परिस्थितियां काफी संवेदनशील हैं। इसलिए इस डील को लेकर कई सवाल भी खड़े हो रहे है।