देवउठनी एकादशी के साथ फिर शुरू होंगे मांगलिक कार्य! बजेगी शहनाई, जानें इस साल के शुभ विवाह मुहूर्त
नई दिल्ली। देवउठनी एकादशी, जिसे प्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी भी कहते हैं, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह वह दिन है जब भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं। इन चार महीनों के दौरान सभी मांगलिक कार्य, जैसे विवाह और गृह प्रवेश, बंद हो जाते हैं और भगवान के जागने के साथ ही इनकी शुरुआत होती है। इस साल देवउठनी एकादशी 1 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी।
देवउठनी एकादशी शुभ मुहूर्त
आचार्य ज्ञान प्रकाश अवस्थी ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की तिथि 01 नवंबर को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर प्रारम्भ होगा। इसका समापन 02 नवंबर को सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर होगा। देवउठनी एकादशी पर पूजन का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 50 मिनट से सुबह 05 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
वहीं अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। अमृत काल सुबह 11 बजकर 17 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। रवि योग सुबह 06 बजकर 33 मिनट से शाम 06 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इन मुहूर्तों में पूजा- अर्चना कर सकते हैं।
नवंबर 2025 में विवाह के शुभ मुहूर्त
नवंबर 2025 में विवाह के लिए कुल 14 शुभ मुहूर्त रहेंगे।
शुभ तिथियां 2, 3, 4, 5, 12, 13, 14, 15, 18, 21, 22, 23, 25, 30 नवंबर।
दिसंबर 2025 में विवाह के शुभ मुहूर्त
दिसंबर में विवाह के लिए सिर्फ 3 शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं।
शुभ तिथियां: 4, 5, 6 दिसंबर।
अन्य जानकारी
साल 2025 में 16 जनवरी से विवाह के शुभ मुहूर्त शुरू हुए थे।
6 जुलाई से 18 नवंबर तक चातुर्मास के कारण विवाह पर विराम रहेगा।
दिसंबर के बाद,14 जनवरी 2026 तक मलमास के कारण विवाह आदि बंद हो जाएंगे
देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह का महत्व
1. देवों का जागरण- देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा के बाद जागते हैं, जिसके बाद सभी मांगलिक कार्य,जैसे विवाह,फिर से शुरू हो जाते हैं।
2. प्रतीकात्मक विवाह- तुलसी विवाह एक प्रतीकात्मक विवाह है,जो देवउठनी एकादशी के अगले दिन यानी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को होता है। यह देवी तुलसी और भगवान विष्णु के शालीग्राम रूप के मिलन का प्रतीक है।
3.शुभ फल की प्राप्ति- मान्यता है कि जो दंपत्ति इस दिन श्रद्धापूर्वक तुलसी विवाह करवाते हैं,उन्हें सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही,अविवाहित लोगों के विवाह में आने वाली बाधाएं भी दूर होती हैं।