तीन महीने के बच्चों के ब्रेन स्कैन से भावनात्मक विकास का पता लग सकता है: अध्ययन
शोधकर्ताओं ने 95 बच्चों और उनके देखभाल करने वालों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि दिमाग के अंदर मौजूद सफेद पदार्थ की बनावट और बच्चे के भावनात्मक व्यवहार के बीच गहरा संबंध है। सफेद पदार्थ दिमाग के अलग-अलग हिस्सों को एक-दूसरे से जोड़ने और तेजी से संदेश पहुंचाने में मदद करता है।;
एक नए अध्ययन में सामने आया है कि अगर किसी बच्चे का ब्रेन स्कैन उसके जन्म के तीन महीने के भीतर किया जाए, तो उसके आने वाले छह महीनों में भावनात्मक विकास और खुद को शांत रखने की क्षमता के बारे में जानकारी मिल सकती है। यह शोध अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग के वैज्ञानिकों ने किया है।
शोधकर्ताओं ने 95 बच्चों और उनके देखभाल करने वालों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि दिमाग के अंदर मौजूद सफेद पदार्थ की बनावट और बच्चे के भावनात्मक व्यवहार के बीच गहरा संबंध है। सफेद पदार्थ दिमाग के अलग-अलग हिस्सों को एक-दूसरे से जोड़ने और तेजी से संदेश पहुंचाने में मदद करता है।
जिन बच्चों के दिमाग के ‘फोर्सेप्स माइनर’ नामक हिस्से में न्यूरॉन की संरचना ज्यादा फैली हुई थी, उनमें तीन से नौ महीने की उम्र के बीच नकारात्मक भावनाएं ज्यादा देखी गईं। वहीं, जिन बच्चों के ‘सिंगुलम बंडल’ नामक हिस्से की संरचना अधिक विकसित थी, वे अधिक सकारात्मक भावनाएं दिखाते थे और खुद को शांत रखने में बेहतर थे।
शोधकर्ताओं का कहना है कि शुरुआती उम्र में दिमाग की बनावट यह संकेत दे सकती है कि बच्चे का भावनात्मक विकास किस दिशा में जाएगा। इससे यह भी समझा जा सकता है कि कौन से बच्चे भविष्य में मानसिक या भावनात्मक समस्याओं की ओर बढ़ सकते हैं।
यह अध्ययन 'जीनोमिक साइकियाट्री' नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, अगर दिमाग की शुरुआती बनावट के संकेतों को सही समय पर पहचाना जाए, तो बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समय रहते उपाय किए जा सकते हैं।
इसके लिए एक खास एमआरआई तकनीक का इस्तेमाल किया गया, जिसे 'न्यूराइट ओरिएंटेशन डिस्पर्शन एंड डेंसिटी इमेजिंग' कहा जाता है। पारंपरिक तकनीकों की तुलना में यह दिमाग की जटिल बनावट को बेहतर तरीके से दिखा सकती है।