‘ओएमजी’ जैसी कहानी: कोविड को माना गया ‘एक्ट ऑफ गॉड’, आयोग ने रिसॉर्ट को लौटानी पड़ी 4 लाख की अग्रिम राशि
आगरा जिले के एक विवाह स्थल—सम्सकारा रिसॉर्ट एंड स्पा—के खिलाफ उपभोक्ता विवाद में राज्य आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया और कोविड-19 महामारी के दौरान बुकिंग रद्द करने पर अग्रिम राशि जब्त करना अवैधानिक माना।;
यूपी में एक ऐसा मामला सामने आया है जो काफी हद तक फिल्म ‘ओएमजी’ की कहानी जैसा लगता है, जहां अदालत को ‘एक्ट ऑफ गॉड’ यानी दैवीय आपदा का सिद्धांत लागू करना पड़ा। महामारी और लॉकडाउन के कारण रद्द हुए विवाह समारोह की बुकिंग को लेकर उपभोक्ता और एक रिसॉर्ट के बीच विवाद हुआ था। आगरा जिला फोरम ने पहले इस मामले में उपभोक्ता के पक्ष में फैसला दिया था, लेकिन रिसॉर्ट ने राज्य आयोग में अपील दायर की। अब राज्य आयोग ने भी स्पष्ट कर दिया है कि कोविड जैसी आपदा के कारण बुकिंग का पूरा होना असंभव हो गया था, इसलिए अग्रिम राशि जब्त करना अवैधानिक है।
परिवादी यू.सी. शर्मा ने अपनी बेटी की शादी के लिए आगरा के सम्सकारा रिसॉर्ट एंड स्पा में 28 नवंबर 2020 से 1 दिसंबर 2020 तक की बुकिंग कराई थी। इसके लिए उन्होंने कुल चार लाख रुपये अग्रिम भुगतान किया था। इसी बीच कोविड-19 की गंभीर स्थिति के कारण देश भर में लॉकडाउन लगा दिया गया और सामूहिक आयोजनों पर रोक लगा दी गई। इसके अलावा दूल्हे के पिता धनंजय शर्मा की 22 मई 2020 को कोरोना संक्रमण से मौत हो गई, जिसके बाद परिवार ने शादी रद्द करने का निर्णय लिया। 10 जून 2020 को उपभोक्ता ने बुकिंग रद्द कर अग्रिम राशि लौटाने का अनुरोध किया, लेकिन रिसॉर्ट ने पैसे लौटाने से इनकार कर दिया और अनुबंध की शर्तों का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी परिस्थिति में अग्रिम धनराशि वापस नहीं की जाएगी।
यह मामला जिला उपभोक्ता आयोग पहुंचा, जहां फरवरी 2024 में आयोग ने रिसॉर्ट को चार लाख रुपये वापस करने, 12 प्रतिशत ब्याज देने और मानसिक क्षतिपूर्ति तथा वाद व्यय के रूप में 50 हजार रुपये देने का आदेश दिया। इस आदेश को रिसॉर्ट ने राज्य आयोग में चुनौती दी।
राज्य आयोग ने सुनवाई के दौरान पाया कि कोविड-19 के कारण पूरे देश में लॉकडाउन था, समारोहों पर रोक थी और बुकिंग पूरी करना कानूनन असंभव हो गया था। यह परिस्थिति वास्तव में ‘एक्ट ऑफ गॉड’ की श्रेणी में आती है, क्योंकि यह किसी भी पक्ष के नियंत्रण में नहीं थी। आयोग ने कहा कि ऐसी स्थिति में अग्रिम राशि जब्त करने का नियम अवैधानिक है। आयोग ने जिला फोरम के आदेश में संशोधन करते हुए चार लाख रुपये की राशि लौटाने का आदेश बरकरार रखा, लेकिन मानसिक क्षतिपूर्ति और वाद खर्च को 50 हजार से घटाकर 10 हजार कर दिया। ब्याज दर को 12 प्रतिशत से घटाकर छह प्रतिशत किया गया, जो 23 फरवरी 2024 से भुगतान की तिथि तक लागू होगी।
इस फैसले को उपभोक्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण माना जा रहा है, क्योंकि कोविड जैसी आपदाओं में रद्द हुई बुकिंग पर अग्रिम राशि लौटाने से जुड़े कई विवाद अब भी लंबित हैं। आयोग के इस निर्णय ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसी परिस्थितियाँ असाधारण हैं और उपभोक्ताओं से पैसा रोकना उचित नहीं है।