माता का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा! त्रिदेवों की क्रोध ऊर्जा से हुआ था जन्म, जानें क्या है पूरी कथा
नई दिल्ली। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय महिषासुर नामक राक्षस का अत्याचार बहुत बढ़ गया था। वह स्वर्ग पर राज करना चाहता था। और उसने देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया था। महिषासुर के आतंक से परेशान होकर सभी देवतागण ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास सहायता के लिए पहुंचे। देवताओं की बात सुनकर त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) बहुत क्रोधित हुए। इस क्रोध के कारण उनके मुख से एक दिव्य ऊर्जा उत्पन्न हुई। इसी ऊर्जा से एक देवी का जन्म हुआ, जिन्हें देवताओं ने अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र और शक्तियां प्रदान कीं।
- भगवान शिव ने उन्हें अपना त्रिशूल दिया।
- भगवान विष्णु ने अपना चक्र दिया।
- देवराज इंद्र ने उन्हें एक घंटा प्रदान किया।
- सूर्य ने अपना तेज और तलवार दी।
- अन्य देवताओं ने भी अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र माता को सौंप दिए।
इन अस्त्रों को धारण करने के बाद, देवी चंद्रघंटा युद्ध के लिए तैयार हुईं। उनका रूप अत्यंत ही भव्य और शक्तिशाली था। उनके मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्रमा शोभित था, इसलिए उन्हें चंद्रघंटा कहा गया। जब महिषासुर ने माता के इस प्रचंड रूप को देखा, तो वह समझ गया कि अब उसका अंत निकट है। मां चंद्रघंटा ने अपने घंटे की भयानक ध्वनि से रणभूमि में प्रवेश किया, जिससे सभी राक्षस भयभीत हो गए। अंत में, मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध करके देवताओं को उसके आतंक से मुक्त किया और धर्म की स्थापना की। मां का यह रूप बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप
मां चंद्रघंटा का वाहन सिंह है और इनके दस हाथों में से चार दाहिने हाथों में कमल का फूल, धनुष, जप माला और तीर है और पांचवां हाथ अभय मुद्रा में रहता है, जबकि चार बाएं हाथों में त्रिशूल, गदा, कमंडल और तलवार है और पांचवा हाथ वरद मुद्रा में रहता है, उनका स्वरूप भक्तों के लिए बड़ा ही कल्याणकारी है। ये सदैव अपने भक्तों की रक्षा के लिये तैयार रहती हैं। इनके घंटे की ध्वनि के आगे बड़े से बड़ा शत्रु भी नहीं टिक पाता है।
विशेष भोग
- मां चंद्रघंटा को शहद और दूध का भोग प्रिय है।
- इसे अर्पित करने से जीवन में मधुरता, सुख और समृद्धि आती है।
- प्रसाद के रूप में गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाना चाहिए।
पूजा के नियम
- पूजा में सात्त्विकता और पूर्ण श्रद्धा का पालन करें।
- पूजा के दौरान क्रोध, अपवित्र विचार और नकारात्मक ऊर्जा से दूर रहें।
- इस दिन गरीब और जरूरतमंदों को दान देने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
मां चंद्रघंटा का मंत्र
इस दिन आपको मां चंद्रघंटा के मंत्र का 11 बार जप अवश्य करना चाहिए। मंत्र इस प्रकार है-
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥