दिल्ली की हवा में सुधार, 10 इलाकों में AQI 200 से नीचे; लेकिन आने वाले दिन फिर बढ़ा सकते हैं चिंता
गुरुवार को दिल्ली का औसत AQI 234 दर्ज किया गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में है, लेकिन मंगलवार को दर्ज किए गए 412 के ‘गंभीर’ स्तर की तुलना में यह एक बड़ी राहत मानी जा रही है।;
दिल्लीवासियों को लगातार दूसरे दिन वायु प्रदूषण से कुछ राहत मिली है। राष्ट्रीय राजधानी के कई इलाकों में हवा की गुणवत्ता में सुधार दर्ज किया गया है। शहर में संचालित 40 वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों में से 10 केंद्रों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 200 से नीचे रहा, जिसे ‘मध्यम’ श्रेणी में रखा जाता है। गुरुवार को दिल्ली का औसत AQI 234 दर्ज किया गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में है, लेकिन मंगलवार को दर्ज किए गए 412 के ‘गंभीर’ स्तर की तुलना में यह एक बड़ी राहत मानी जा रही है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, गुरुवार शाम चार बजे दिल्ली का 24 घंटे का औसत AQI 234 रहा। एक दिन पहले इसी समय यह 271 दर्ज किया गया था, जबकि मंगलवार को यह स्तर 400 के पार चला गया था। इस सुधार से लोगों को सांस लेने में कुछ हद तक राहत महसूस हुई है, हालांकि विशेषज्ञ इसे अस्थायी राहत मान रहे हैं।
शहर के जिन इलाकों में AQI 200 से नीचे दर्ज किया गया, उनमें लोधी रोड, आईआईटी-दिल्ली, इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा और आया नगर जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इन इलाकों में हवा की गुणवत्ता ‘मध्यम’ श्रेणी में रही। वहीं, 27 निगरानी केंद्रों पर AQI ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया। दूसरी ओर, जहांगीरपुरी और बवाना जैसे औद्योगिक और घनी आबादी वाले इलाकों में स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है, जहां AQI 300 से ऊपर यानी ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया।
CPCB के मानकों के अनुसार, 0 से 50 के बीच AQI को ‘अच्छा’, 51 से 100 को ‘संतोषजनक’, 101 से 200 को ‘मध्यम’, 201 से 300 को ‘खराब’, 301 से 400 को ‘बेहद खराब’ और 401 से 500 के बीच को ‘गंभीर’ माना जाता है। इसी पैमाने पर देखा जाए तो दिल्ली की मौजूदा स्थिति अभी भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं कही जा सकती।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए निर्णय सहायता प्रणाली (DSS) के आंकड़ों से यह भी सामने आया है कि दिल्ली में प्रदूषण के कुल स्तर में सबसे बड़ा योगदान वाहनों से होने वाले उत्सर्जन का रहा। बुधवार को कुल प्रदूषण में वाहनों की हिस्सेदारी 18.5 प्रतिशत रही। इसके बाद दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में स्थित उद्योगों का योगदान 9.5 प्रतिशत, निर्माण गतिविधियों का 2.5 प्रतिशत और कचरा जलाने का 1.6 प्रतिशत दर्ज किया गया।
मौसम की भूमिका भी इस सुधार में अहम रही। वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के अनुसार, गुरुवार दोपहर के समय सतही हवाओं की दिशा उत्तर-पश्चिम रही और हवा की रफ्तार 10 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच गई। तेज हवा के कारण प्रदूषक कणों के फैलाव में मदद मिली, जिससे AQI में गिरावट दर्ज की गई।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक, बुधवार को दिल्ली का अधिकतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से करीब 1.9 डिग्री अधिक था, जबकि न्यूनतम तापमान 6.5 डिग्री सेल्सियस रहा। हालांकि, मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि आने वाले दिनों में हवा की गति कम हो सकती है, जिससे वायु गुणवत्ता फिर से ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंचने की आशंका है।
कुल मिलाकर, दिल्ली की हवा में फिलहाल सुधार जरूर दिख रहा है, लेकिन यह राहत स्थायी नहीं मानी जा रही। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक प्रदूषण और निर्माण गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण नहीं लगाया जाता, तब तक सर्दियों के मौसम में दिल्ली को प्रदूषण की इस समस्या से पूरी तरह निजात मिलना मुश्किल है।