DIVORCE: हाईकोर्ट की फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती! विवाह के साल भर के भीतर भी कर सकते हैं तलाक का केस

धारा 14 यह स्पष्ट करती है कि आपसी समझौते से विवाह विच्छेद का मुकदमा विवाह के एक वर्ष के पश्चात ही लाया जा सकता है।;

Update: 2025-05-30 08:00 GMT

लखनऊ। हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को पलटते हुए एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि असाधारण मुश्किलों में पति या पत्नी विवाह के एक साल के अंदर भी तलाक का मुकदमा दाखिल कर सकते हैं। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने कहा गया है कि असाधारण मुश्किलों या उत्पीड़न का सामना कर रहे पति या पत्नी विवाह के एक साल के भीतर भी तलाक का मुकदमा दाखिल कर सकते हैं।

एक वर्ष के बाद ही तलाक की मांग कर सकते हैं...

दरअसल, हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद हिंदू विवाह अधिनियम के तहत दंपती विवाह के एक वर्ष के बाद ही तलाक की मांग कर सकता है। इसी आधार पर परिवार न्यायालय ने एक दंपती के आपसी समझौते के आधार पर दाखिल की गई तलाक की अर्जी को खारिज कर दिया था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।

कहां से शुरू हुआ मामला

न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने यह फैसला अंबेडकरनगर निवासी पति की अपील पर दिया। इस मामले में दंपती का विवाह 3 सितम्बर 2024 को हुआ था। संबंध बिगड़ने के कारण दोनों ने आपसी सहमति से विवाह विच्छेद का मुकदमा अंबेडकरनगर के परिवार न्यायालय में दाखिल किया। विवाह के एक वर्ष के भीतर मुकदमा दाखिल होने के आधार पर परिवार न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया था।

क्या है धारा 14

धारा 14 यह स्पष्ट करती है कि आपसी समझौते से विवाह विच्छेद का मुकदमा विवाह के एक वर्ष के पश्चात ही लाया जा सकता है।धारा 14 का ही परंतु इस बात को स्पष्ट करता है कियाची पति अथवा पत्नी जब अपने वैवाहिक जीवन में असाधारण कठिनाई का सामना कर रहे हों अथवा असाधारण उत्पीड़न से गुजर रहे हों, ऐसी परिस्थिति में एक वर्ष की प्रतीक्षा अवधि को समाप्त किया जा सकता है।

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