डीएम ने खारिज की आजम खां की पैरोल अर्जी, भाभी के दफीने में शामिल नहीं हो सके सपा नेता
इसके चलते आजम खां अपनी भाभी की नमाज-ए-जनाजा और सुपुर्दे-खाक में शामिल नहीं हो सके। सोमवार शाम हुए दफन में परिवार के सदस्यों के साथ-साथ समाजवादी पार्टी और अन्य राजनीतिक दलों के कई नेता व सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।;
रामपुर में धोखाधड़ी के एक मामले में सजा काट रहे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मोहम्मद आजम खां को बड़ा व्यक्तिगत झटका लगा है। उनकी भाभी के निधन के बाद अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए दी गई पैरोल की अर्जी को जिला मजिस्ट्रेट ने शासनादेश का हवाला देते हुए खारिज कर दिया। इसके चलते आजम खां अपनी भाभी की नमाज-ए-जनाजा और सुपुर्दे-खाक में शामिल नहीं हो सके। सोमवार शाम हुए दफन में परिवार के सदस्यों के साथ-साथ समाजवादी पार्टी और अन्य राजनीतिक दलों के कई नेता व सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
दरअसल, सिविल लाइंस थाने में शहर विधायक आकाश सक्सेना की ओर से दर्ज कराए गए दो पैन कार्ड मामलों में आजम खां और उनके बेटे, पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम को 17 नवंबर को एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने सात साल के कारावास की सजा सुनाई थी। सजा सुनाए जाने के बाद से दोनों रामपुर जिला कारागार में बंद हैं। इसी दौरान सोमवार को आजम खां की भाभी सलमा शहनाज का इंतकाल हो गया। वह आजम खां के बड़े भाई, सेवानिवृत्त इंजीनियर शरीफ खां की पत्नी थीं, जबकि अब्दुल्ला आजम की सगी ताई थीं।
भाभी के निधन की सूचना मिलने के बाद आजम खां के भांजे फरहान खां की ओर से पैरोल के लिए जिला प्रशासन से संपर्क किया गया। इस संबंध में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सतनाम सिंह मट्टू और आजम खां के अधिवक्ता काशिफ खां ने जिला मजिस्ट्रेट से मुलाकात कर आवेदन सौंपा। अर्जी में अनुरोध किया गया था कि आजम खां और अब्दुल्ला आजम को अपराह्न दो बजे से शाम छह बजे तक पैरोल दी जाए, ताकि वे अंतिम दीदार और दफन की रस्म में शामिल हो सकें। दफन मुमताज पार्क के सामने स्थित कब्रिस्तान में किया जाना था।
हालांकि, जिला प्रशासन ने इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सतनाम सिंह मट्टू ने बताया कि पैरोल की अनुमति नहीं मिलने के कारण आजम खां और अब्दुल्ला आजम अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए। इस फैसले को लेकर उनके समर्थकों में निराशा देखी गई, लेकिन प्रशासन का कहना है कि निर्णय पूरी तरह नियमों के अनुरूप लिया गया है।
इस मामले पर जिला मजिस्ट्रेट अजय कुमार द्विवेदी ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि आजम खां और अब्दुल्ला आजम की ओर से पैरोल के लिए प्रार्थना पत्र प्राप्त हुआ था, लेकिन शासनादेश में पैरोल को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं। उन्होंने बताया कि नियमों के अनुसार सरकार बंदी को केवल माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी या पुत्र-पुत्री की बीमारी, शादी या मृत्यु के मामलों में ही पैरोल दे सकती है। भाभी का संबंध इस श्रेणी में नहीं आता, इसलिए नियमों के तहत पैरोल अर्जी खारिज की गई।
इधर, आजम खां की भाभी के इंतकाल की खबर मिलते ही रामपुर में शोक का माहौल बन गया। सोमवार देर शाम हुए दफन में सपा नेता आजम खां के बड़े बेटे अदीब आजम, पूर्व दर्जा राज्यमंत्री सुरेन्द्र सागर, पालिकाध्यक्ष पति मामून शाह, नसीर खां, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हाफिज अब्दुल सलाम, मुकर्रम हुसैन सिद्दीकी, फरहान खां, फिरासत खां, डॉ. शायर उल्ला खां, अमर जीत सिंह, विजय सिंह, सतनाम मट्टू, अमित शर्मा, आसिम राजा, मुकर्रम रजा इनायती और ओमेंद्र चौहान सहित कई लोग शामिल हुए।
कुल मिलाकर, आजम खां की पैरोल अर्जी खारिज होने का यह मामला एक बार फिर नियमों और मानवीय पहलुओं के बीच संतुलन को लेकर चर्चा में है। जहां प्रशासन ने इसे कानूनी प्रक्रिया बताया है, वहीं समर्थक इसे एक संवेदनशील पारिवारिक अवसर से वंचित किए जाने के रूप में देख रहे हैं।