Dudheshwara Nath Temple: गाजियाबाद में स्थित प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर, जिसका लंकापति रावण से है संबंध, जानें क्या है कहानी
नई दिल्ली। देशभर में भगवान शिव के सैकड़ों मंदिर स्थापित हैं। हर एक मंदिर की अपनी एक मान्यता है। इन्हीं प्राचीन मंदिरों में से है दिल्ली एनसीआर गाजियाबाद में स्थित श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर। यह मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है। माना जाता है कि इस मंदिर में बाबा भोलेनाथ के दर्शन करने मात्र से हर कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- दूधेश्वर नाथ मंदिर गाजियाबाद में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर है, जो दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रसिद्ध है।
- यह मंदिर 5000 वर्ष से भी अधिक पुराना माना जाता है और इसे स्वयंभू मंदिर माना जाता है।
- पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय यहां चरवाहे गाय चराते थे और एक खास जगह पर गायों के थनों से अपने आप दूध टपकने लगता था।
- इसी स्थान पर खुदाई करने पर शिवलिंग मिला और माना जाता है कि गायों के दूध से अभिसिंचित होने के कारण यह दूधेश्वर महादेव कहलाया।
- मंदिर में एक अनोखा कुआं भी है, जिसके पानी का स्वाद कभी-कभी मीठा और कभी-कभी दूध जैसा होता है।
- यह कुआं मंदिर के राम भवन में स्थित है और इसकी पूजा-अर्चना के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
- मंदिर के पास ही कैला गाँव है, जो प्राकट्य पूर्व ग्राम्य क्षेत्र कैलाश का अपभ्रंश है।
- मंदिर के पास ही पुराणों में वर्णित हरनंदी (हिंडन) नदी भी बहती है।
- कहा जाता है कि भगवान दूधेश्वर अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उन्हें सोना देते हैं।
रावण काल से जुड़ा है मंदिर का इतिहास
दूधेश्वर नाथ मंदिर का इतिहास रावण काल से बताया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिंडन नदी के किनारे पुलस्त्य के पुत्र और रावण के पिता ऋषि विश्रवा ने घोर तपस्या की थी। बताया जाता है कि अपने पिता के बाद रावण ने भी इस मंदिर पर तपस्या की थी। इसी स्थान को दुधेश्वर हिरण्यगर्भ महादेव मंदिर मठ के रूप में जानते हैं। माना जाता है कि यहां पर भगवान शिव खुद प्रकट हुए थे। आज यहां पर जमीन से तीन फीट नीचे शिवलिंग मौजूद है। इस मंदिर पर सावन के हर सोमवार को भक्तों को लंबी-लंबी लाइनें लगती हैं। वहीं, कुछ भक्त तो देर रात को ही लाइन में सबसे पहले पूजा करने के लिए खड़े हो जाते हैं।
रावण ने शिव जी को चढ़ाया था शीश
बताया जाता है कि इस मंदिर में अपनी तपस्या के वक्त रावण ने महादेश को प्रसन्न करने के लिए अपना शीश चढ़ाया था। वहीं, इस मंदिर को देश के प्रमुख आठ मठों में भी गिना जाता है।
वर्तमान में
- मंदिर के वर्तमान पीठाधीश्वर श्री महंत नारायण गिरी जी हैं।
- मंदिर में विभिन्न आध्यात्मिक समूह हैं, जैसे श्रृंगार दर्शन, मंदिर सेवा प्रकल्प, और अन्नपूर्णा भंडार।
- मंदिर का जीर्णोद्धार कई बार हो चुका है, "और अब इसे काशी विश्वनाथ मंदिर और महाकाल मंदिर उज्जैन की तरह"} एक प्रमुख धार्मिक केंद्र बनाने का प्रयास किया जा रहा है।