Ganesh Utsav: कानपुर का सिद्धि विनायक मंदिर, जिसे अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का माना जाता है प्रतीक
गणेश उत्सव को लेकर पूरे देश में लहर है। ऐसे में कानपुर महानगर में भी गणपति बप्पा का आगमन हो चुका है। वहीं कानपुर शहर को हमेशा से एक क्रांतिकारी शहर कहा गया है और यहां के घंटाघर का इलाका हमेशा से भीड़भाड़ और चकाचौंध के लिए मशहूर रहा है। कानपुर में पहली बार सार्वजनिक गणेशोत्सव इसी मंदिर से मनाई गयी थी। अब भी गणेश चतुर्थी के दिन हजारों श्रद्धालु यहां जुटते हैं और मंदिर परिसर भक्ति गीतों और जयकारों से गूंज उठता है।
आस्था के सामने अंग्रेजों का शासन काम नहीं आया
बता दें कि इसी जगह पर एक ऐसा मंदिर है जो अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का प्रतीक माना जाता है। जिसकी कहानी आज भी लोगों का मन श्रद्धा और गर्व से भर देती है। इस मंदिर को अंग्रेजों के समय बनवाया गया था। जब वह इस इलाके में किसी को कोई मंदिर बनवाने नहीं देते थे, मगर भक्तों के विश्वास और आस्था के सामने उनका शासन काम नहीं आया और अंग्रेजों को इस की भनक तक नहीं लगी। यह गणेश मंदिर है, जिसे लोग सिद्धि विनायक मंदिर के नाम से भी जानते हैं।
यह मंदिर करीब सौ साल पुराना
दरअसल, यह मंदिर करीब सौ साल पुराना है। जब लोगों ने इस मंदिर को बनाने का प्रस्ताव रखा तब अंग्रेज अफसरों ने इससे साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यहां करीब में एक मस्जिद है, जिसकी वजह से मंदिर नहीं बन सकता। तब भक्त निराश हो गए, मगर उन्होंने हार नहीं मानी और मंदिर को एक मकान की तरह बनवाना शुरु कर दिया। जो बाहर से एक तीन मंजिला मकान लगता था। जिससे अंग्रेजों को लगा कि यहां कोई नया मकान बन रहा है, मगर यहां मंदिर बन रहा था।
मंदिर की नींव बाबा रामचरण नाम के एक समाजसेवी ने रखी थी
सिद्धि विनायक मंदिर की नींव बाबा रामचरण नाम के एक समाजसेवी ने रखी थी। इस समय स्वतंत्रता संग्राम के बड़े नेता लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक कानपुर आए थे। तब उन्होंने इसका भूमि पूजन किया। मगर इस वक्त अंग्रेजों के शासन की वजह से यहां मूर्ति स्थापना नहीं हो पाई। जिसके बाद जब यहां का निर्माण पूरा हुआ। तब ऊपर की मंजिल पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की गई और निचली मंजिल का इस्तेमाल बाकी कार्यों के लिए किया गया।
दस सिर वाले गणेश जी का स्वरूप
यह मंदिर अपनी अनोखी मूर्तियों के लिए भी खास माना गया है। यहां भगवान गणेश के कई स्वरूप विराजमान हैं। जैसे संगमरमर और पीतल से बनी सुंदर मूर्तियां जो भक्तों का मन मोह लेती हैं। यहां रिद्धि-सिद्धि और शुभ-लाभ की मूर्तियों के साथ दस सिर वाले गणेश जी का स्वरूप भी है। जिसे दुर्लभ माना जाता है। यह मंदिर पूजा की जगह के साथ-साथ श्रद्धा और आजादी की भावना का प्रतीक भी बन गया। जिस तरह मुंबई में गणेश महोत्सव का त्योहार खास महत्व रखता है, उसी तरह कानपुर के इस मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी हैं।