मैं तुलसी तेरे आंगन की... औषधीय गुणों से भरपूर जड़ी-बूटियों की रानी तुलसी
नई दिल्ली। तुलसी एक जड़ी-बूटी है जिसे "अतुलनीय", "जीवन का अमृत" या "जड़ी-बूटियों की रानी" के नाम से भी जाना जाता है। यह एक औषधीय पौधा है। जिसका उपयोग आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए किया जाता है। तुलसी हिंदू धर्म में एक पवित्र पौधा माना जाता है और इसे अक्सर घर के अंदर और बाहर लगाया जाता है। इस औषधीय पौधे में विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। सभी रोगों को दूर करने और शारीरिक शक्ति बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर इस औषधीय पौधे को प्रत्यक्ष देवी कहा गया है क्योंकि इससे ज्यादा उपयोगी औषधि मनुष्य जाति के लिए दूसरी कोई नहीं है।
तुलसी का पौधा
तुलसी का पौधा आमतौर पर 30 से 60 सेमी तक ऊंचा होता है और इसके फूल छोटे-छोटे सफेद और बैगनी रंग के होते हैं। इसका पुष्पकाल एवं फलकाल जुलाई से अक्टूबर तक होता है।
तुलसी के फायदे
1. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए- तुलसी में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।
2. पाचन में सुधार- यह पाचन तंत्र को बेहतर बनाने, पाचन में सुधार करने, और कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है।
3. श्वसन प्रणाली को बेहतर बनाए- तुलसी के पत्तों से भाप लेने से सर्दी-खांसी और ब्रोंकाइटिस जैसी श्वसन समस्याओं से राहत मिल सकती है।
4. रक्त को शुद्ध करे- तुलसी में रक्त को शुद्ध करने के गुण होते हैं जो त्वचा की समस्याओं को ठीक करने में मदद करते हैं।
5. सर्दी-खांसी से राहत दे- तुलसी के पत्तों का काढ़ा पीने से सर्दी-खांसी से राहत मिलती है।
6. त्वचा की समस्याओं का इलाज करे- तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो मुंहासों और अन्य त्वचा की समस्याओं का इलाज करने में मदद करते हैं।
7. हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा दे- तुलसी हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करती है और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करती है।
8. उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करे- तुलसी उच्च रक्तचाप से संबंधित समस्याओं को ठीक कर सकती है।
9. तनाव से होने वाले अल्सर से बचाए- तुलसी के पत्तों में तनाव से होने वाले अल्सर से बचाने के गुण होते हैं।
10. सांप काटने पर तुलसी का उपयोग- 5-10 मिली तुलसी-पत्र-स्वरस को पिलाने से तथा इसकी मंजरी और जड़ों को पीसकर सांप के काटने वाली जगह पर लेप करने से सर्पदंश की पीड़ा में लाभ मिलता है। अगर रोगी बेहोश हो गया हो तो इसके रस को नाक में टपकाते रहना चाहिए।
11. कुष्ठ रोग (त्वचा रोग) में तुलसी का रस- अगर आप कुष्ठ रोग से पीड़ित हैं तो जान लें कि तुलसी का सेवन कुष्ठ रोग को कुछ हद तक दूर करने में सहायक है। पतंजलि आयुर्वेद के अनुसार 10-20 मिली तुलसी पत्र-स्वरस को प्रतिदिन सुबह पीने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
12. दांत दर्द से आराम- तुलसी की पत्तियां दांत दर्द से आराम दिलाने में भी कारगर हैं। दांत दर्द से आराम पाने के लिए काली मिर्च और तुलसी के पत्तों की गोली बनाकर दांत के नीचे रखने से दांत के दर्द से आराम मिलता है।
तुलसी का सेवन कब नहीं करना चाहिए?
1. थायरॉयड समस्याओं के साथ- तुलसी में थायरॉयड हार्मोन को प्रभावित करने की क्षमता होती है। यदि आप हाइपरथायरॉयडिज्म या हाइपोथायरॉयडिज्म जैसी थायरॉयड समस्याओं से ग्रस्त हैं, तो तुलसी का सेवन अत्यधिक मात्रा में करने से बचना चाहिए।
2. चोट या सर्जरी के बाद- चोट या सर्जरी के बाद, रक्तस्राव के जोखिम को कम करने के लिए तुलसी का सेवन सीमित करना चाहिए। तुलसी के एंटीकोआगुलेंट्स रक्तस्राव को बढ़ा सकते हैं, जिससे रिकवरी की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
3. आयुर्वेदिक दवाओं के साथ- तुलसी का सेवन कुछ आयुर्वेदिक दवाओं के साथ नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे दवाओं की प्रभावशीलता पर असर पड़ सकता है। अगर आप किसी भी आयुर्वेदिक उपचार का पालन कर रहे हैं, तो तुलसी का सेवन करने से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें।
औषधीय गुण
तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो शरीर को विभिन्न बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं।
धार्मिक महत्व
तुलसी हिंदू धर्म में एक पवित्र पौधा माना जाता है और इसे अक्सर देवी तुलसी का रूप माना जाता है। भगवान विष्णु को तुलसी बहुत ही प्रिय होती है। तुलसी को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी को अवश्य शामिल करना चाहिए। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा तुलसी से करने से व्यक्ति के जीवन में कभी भी धन और सुख की कमी नहीं रहती।
तुलसी का सेवन
सामान्यतः एक दिन में 8-10 तुलसी के पत्ते का सेवन उचित माना जाता है।