पहले अपने गिरेबान में झांके पाकिस्तान, अल्पसंख्यकों पर ज्ञान देने पर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
भारत ने पाकिस्तान के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए साफ किया कि वहां धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा, उत्पीड़न और भेदभाव किसी से छिपा नहीं है।;
भारत ने अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर टिप्पणी करने वाले पाकिस्तान को कड़े शब्दों में जवाब देते हुए कहा है कि जिस देश का खुद का रिकॉर्ड इस मामले में बेहद खराब रहा है, उसे दूसरों को नसीहत देने से पहले अपने हालात पर नजर डालनी चाहिए। भारत ने पाकिस्तान के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए साफ किया कि वहां धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा, उत्पीड़न और भेदभाव किसी से छिपा नहीं है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोमवार को जारी बयान में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “हम ऐसे देश की कथित टिप्पणियों को पूरी तरह खारिज करते हैं, जिसका इस विषय पर बेहद खराब रिकॉर्ड अपने आप में सब कुछ कहता है। विभिन्न धर्मों से जुड़े अल्पसंख्यकों के साथ पाकिस्तान द्वारा किया गया भयावह और व्यवस्थित उत्पीड़न एक सर्वविदित तथ्य है। केवल उंगली उठाने से इस सच्चाई को छिपाया नहीं जा सकता।”
दरअसल, पाकिस्तान ने हाल ही में भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर सवाल उठाए थे। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी ने क्रिसमस के दौरान हुई कथित तोड़फोड़ की घटनाओं का हवाला देते हुए भारत पर आरोप लगाए थे। उन्होंने वैश्विक समुदाय से अपील की थी कि वह भारत में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं पर ध्यान दे और भारत सरकार पर मुसलमानों को टारगेट करने के आरोप भी लगाए थे। अंद्राबी ने घरों को गिराने और कथित लिंचिंग की घटनाओं का भी जिक्र किया था।
हालांकि भारत ने इन आरोपों को निराधार और राजनीतिक मकसद से प्रेरित बताया है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान खुद गंभीर मानवाधिकार समस्याओं से जूझ रहा है, जहां अल्पसंख्यकों की स्थिति लगातार चिंताजनक बनी हुई है। पाकिस्तान में हिंदू, सिख, ईसाई और अन्य धार्मिक समुदायों को अक्सर भेदभाव, जबरन धर्मांतरण और हिंसा का सामना करना पड़ता है।
विशेषज्ञों के अनुसार पाकिस्तान में ईशनिंदा कानूनों का दुरुपयोग एक गंभीर समस्या है। इन कानूनों की आड़ में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जाता है, उनके धार्मिक स्थलों पर हमले होते हैं और कई मामलों में जान तक ले ली जाती है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट्स भी समय-समय पर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की खराब स्थिति की ओर इशारा करती रही हैं।
भारत ने दो टूक शब्दों में कहा है कि वह एक लोकतांत्रिक और बहुलतावादी देश है, जहां संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है। भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान को दूसरों पर आरोप लगाने से पहले अपने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, सम्मान और अधिकार सुनिश्चित करने पर ध्यान देना चाहिए।
कूटनीतिक हलकों में भारत की इस प्रतिक्रिया को सख्त लेकिन तथ्यात्मक माना जा रहा है। माना जा रहा है कि भारत ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि वह बेबुनियाद आरोपों को बर्दाश्त नहीं करेगा और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सच्चाई को मजबूती से रखता रहेगा।