Indian Marraige: रात या दिन किस समय करनी चाहिए शादी ? कौन-सा समय होता है शुभ-अशुभ, सच जानकर हो जाएंगे हैरान!
नई दिल्ली। शादी रात या दिन में हो सकती है। यह शुभ मुहूर्त और ज्योतिषीय गणनाओं पर निर्भर करता है। न कि दिन के समय पर। हालांकि कुछ विद्वानों का मानना है कि दिन के समय विवाह करना शुभ होता है,क्योंकि इस दौरान देवता अधिक सक्रिय होते हैं,जबकि सूर्यास्त के बाद का समय अनुचित माना जाता है। दूसरी ओर शास्त्रों में रात में विवाह करने की भी अनुमति है,बशर्ते कि ग्रह और नक्षत्र अनुकूल हों।
राम और शिव के विवाह का रहस्य
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, मिथिला में राम और सीता का विवाह मध्यान्ह काल में सम्पन्न हुआ था।
ततो वैवाहिकं कृत्यम् जनकेन महात्मना.
रामादिभिः कृतं सर्वं ब्राह्मणैः वेदपारगैः॥
(बालकाण्ड, सर्ग 73)
यह श्लोक यह प्रमाणित करता है कि प्राचीन काल में विवाह यज्ञोपम संस्कार के रूप में दिन में सम्पन्न होते थे। शिव–पार्वती विवाह का वर्णन भी शिव पुराण में दिन के समय ही मिलता है।
कारण यह था कि उस युग में यज्ञ और देवताओं का आह्वान मुख्य रूप से दिन में किया जाता था। अग्नि साक्ष्य और सूर्य की उपस्थिति को श्रेष्ठ माना जाता था। इसलिए विवाह को भी दिन के समय सम्पन्न करना ही उचित समझा गया।
शास्त्रीय अनुमति
आश्वलायन गृह्यसूत्र कहता है कि विवाह दिन या रात दोनों में हो सकता है,जो शुभ मुहूर्त और अनुकूल ग्रहों पर निर्भर करता है।
शुभ मुहूर्त का महत्व
मनुस्मृति और नारद पुराण के अनुसार,शुभ मुहूर्त और अनुकूल चंद्रमा की स्थिति में विवाह करना महत्वपूर्ण है, न कि केवल दिन या रात में।
दिन में विवाह करने के पक्ष में तर्क
देवताओं का आशीर्वाद- दिन के समय देवता अधिक सक्रिय होते हैं,इसलिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करना अधिक शक्तिशाली माना जाता है। शुभ ऊर्जा- दिन के समय शुभ ऊर्जा अधिक प्रबल होती है,जो विवाह समारोह के लिए अधिक अनुकूल मानी जाती है।
रात में विवाह करने के पक्ष में तर्क और ऐतिहासिक संदर्भ
सुरक्षा की आवश्यकता- मध्ययुगीन काल में,अरब आक्रमणकारियों के डर से हिन्दू समुदाय अपनी शादियों को रात में चुपचाप करने लगे थे, ताकि लूटपाट और महिलाओं के अपहरण से बचा जा सके।
परंपरा का विकास- यह प्रथा धीरे-धीरे एक परंपरा बन गई,खासकर उत्तर भारत में, जहाँ रात में विवाह करने का प्रचलन शुरू हुआ।
दिन और रात का रहस्य
अगर गहराई से देखें तो दिन और रात दोनों का विवाह शास्त्रसम्मत है। फर्क केवल परिस्थितियों का है. दिन के विवाह में यज्ञ, अग्नि साक्ष्य और देवताओं का आह्वान केंद्र में था। वहीं रात का विवाह नक्षत्रों की अनुकूलता, समाज की सुविधा और सांस्कृतिक उत्सव का प्रतीक बन गया।
यानी दोनों ही सही हैं,लेकिन समय के अनुसार उनकी भूमिका बदल गई है। शास्त्र कभी भी रात के विवाह को अशुभ नहीं मानते। राम और शिव का विवाह दिन में हुआ था,क्योंकि उस समय यज्ञीय परंपरा और अग्नि साक्ष्य को महत्व था।
इस राज्य में आज भी होती है दिन में शादी
बता दें कि भारत में आज भी एक राज्य है जहां दिन में ही शादी का विधान है। वो राज्य है हरियाणा। जी हां इस राज्य में आज भी दिन में ही जोड़ों की शादी की जाती है। वह दिन के समय को ही शुभ मुहूर्त मानते है।