समुद्र में बढ़ेगी नौसेना की ताकत, 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइन और 48 भारी टॉरपीडो की खरीद
इन करारों के तहत 4.25 लाख से अधिक क्लोज क्वार्टर बैटल (CQB) कार्बाइन और 48 भारी टॉरपीडो की खरीद की जाएगी।;
भारत की समुद्री सुरक्षा और सैन्य क्षमता को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को कुल 4,666 करोड़ रुपये के अहम रक्षा करारों पर हस्ताक्षर किए हैं। इन करारों के तहत 4.25 लाख से अधिक क्लोज क्वार्टर बैटल (CQB) कार्बाइन और 48 भारी टॉरपीडो की खरीद की जाएगी। इस फैसले से न केवल भारतीय सशस्त्र बलों की मारक क्षमता बढ़ेगी, बल्कि भारतीय नौसेना की समुद्री युद्ध क्षमता को भी बड़ा बल मिलेगा।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, CQB कार्बाइन और उससे जुड़े आवश्यक सहायक उपकरणों की खरीद के लिए भारत फोर्ज लिमिटेड और पीएलआर सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ 2,770 करोड़ रुपये का करार किया गया है। इन आधुनिक हथियारों का उद्देश्य सैनिकों को विश्वस्तरीय फायरपावर उपलब्ध कराना और पुरानी प्रणालियों को अत्याधुनिक स्वदेशी तकनीक से बदलना है। मंत्रालय ने साफ किया है कि यह पहल आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत की जा रही है, जिससे घरेलू रक्षा विनिर्माण को भी मजबूती मिलेगी।
दूसरी ओर, भारतीय नौसेना के लिए 48 भारी टॉरपीडो और उनसे जुड़े उपकरणों की खरीद भी इस समझौते का अहम हिस्सा है। इसके लिए लगभग 1,896 करोड़ रुपये की लागत से इटली की वास सबमरीन सिस्टम्स एसआरएल के साथ करार किया गया है। ये टॉरपीडो भारतीय नौसेना की कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों के लिए खरीदे जा रहे हैं, जिससे इन पनडुब्बियों की युद्धक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस खरीद से कलवरी कैटेगरी की छह पनडुब्बियों को अत्याधुनिक हथियार प्रणाली से लैस किया जाएगा। टॉरपीडो की आपूर्ति अप्रैल 2028 से शुरू होगी और 2030 की शुरुआत तक पूरी होने की उम्मीद है। समयबद्ध आपूर्ति से नौसेना को भविष्य की चुनौतियों के लिए बेहतर तरीके से तैयार किया जा सकेगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, ये भारी टॉरपीडो अत्याधुनिक तकनीक से लैस होंगे। इनमें उन्नत ऑपरेशनल क्षमताएं होंगी, जो समुद्र में दुश्मन की पनडुब्बियों और युद्धपोतों के खिलाफ बेहद प्रभावी साबित होंगी। मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि इन टॉरपीडो में आधुनिक सेंसर, बेहतर लक्ष्य भेदन क्षमता और उच्च विश्वसनीयता जैसी विशेषताएं शामिल हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह खरीद सरकार की उस रणनीति को दर्शाती है, जिसमें विशिष्ट प्रौद्योगिकियों और उन्नत हथियार प्रणालियों को शामिल कर भारतीय नौसेना की युद्ध आवश्यकताओं को पूरा किया जा रहा है। इससे न केवल नौसेना की ताकत बढ़ेगी, बल्कि देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा भी और मजबूत होगी। कुल मिलाकर, यह सौदा भारत की रक्षा तैयारियों को नई ऊंचाई देने वाला साबित हो सकता है।