अल फलाह यूनिवर्सिटी को लेकर जांच एजेंसियों के हाथ लगा बड़ा सुराग, भगोड़ा आतंकी रह चुका है छात्र

Update: 2025-11-22 05:12 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली लाल किला के पास हुए धमाके के बाद से ही फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी एक बार फिर सुर्खियों में है। व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल का पर्दाफाश होने के बाद यूनिवर्सिटी के पुराने रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। शुरुआती जांच में ऐसे कई तथ्य सामने आए हैं, जिनसे पता चलता है कि यूनिवर्सिटी का आतंकी ऑपरेटिव्स के साथ लंबे समय से संपर्क रहा है। जांच एजेंसियों को पता चला है कि इंडियन मुजाहिदीन (IM) का भगोड़ा आतंकी और 2008 में हुए कई बड़े धमाकों का आरोपी मिर्ज़ा शादाब बैग इसी अल फलाह यूनिवर्सिटी का छात्र रह चुका है।

यूनिवर्सिटी का नाम किसी आतंकी नेटवर्क से जुड़ा

दरअसल, बैग पर जयपुर, अहमदाबाद, दिल्ली और गोरखपुर ब्लास्ट करवाने का आरोप है और वो लंबे समय से फरार है। मिली जानकारी के अनुसार, बैग ने 2007 में अल फलाह यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रूमेंटेशन में बी.टेक पूरा किया था। यह जानकारी सामने आने के बाद एजेंसियों ने उसके कैंपस कनेक्शनों की गहराई से जांच शुरू कर दी है। हालांकि यह पहला मामला नहीं है जब अल फलाह यूनिवर्सिटी का नाम किसी आतंकी नेटवर्क से जुड़ा हो। इसी यूनिवर्सिटी के कई डॉक्टर्स को दिल्ली ब्लास्ट केस में पहले भी गिरफ्तार किया जा चुका है। उस समय भी कई सवाल उठे थे कि आखिर यूनिवर्सिटी में ऐसा क्या है कि आतंकी संगठनों के लोग लगातार इससे जुड़े पाए जा रहे हैं।

10-15 सालों के एडमिशन डेटा की जांच शुरू

नए खुलासों के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े पुराने रिकॉर्ड, छात्रों की प्रोफाइल, फैकल्टी के बैकग्राउंड और बीते 10-15 सालों के एडमिशन डेटा की जांच शुरू की है। एजेंसियां यह भी पता लगाने में जुटी हैं कि आतंकी गतिविधियों के लिए अल फलाह यूनिवर्सिटी का किस तरह इस्तेमाल किया गया।

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