मलेरिया वैक्सीन जलवायु आपदाओं के बाद नियंत्रण में हो सकती है सहायक: अध्ययन
जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान और अनियमित वर्षा मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बना रही हैं, विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में।;
मेडागास्कर में किए गए एक अध्ययन में यह सामने आया है कि नई मलेरिया वैक्सीन — जो लगभग 10 महीने तक सुरक्षा प्रदान करती है — चरम मौसम की घटनाओं के कारण रोग नियंत्रण में आने वाले व्यवधान को कम करने में मददगार हो सकती हैं।
मलेरिया, जो मच्छरों के माध्यम से फैलने वाला संक्रामक रोग है, वैश्विक स्तर पर एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बना हुआ है। जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान और अनियमित वर्षा मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बना रही हैं, विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में।
अमेरिका और मेडागास्कर के शोधकर्ताओं ने बताया कि उष्णकटिबंधीय चक्रवात जैसी मौसमीय आपदाएं स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित कर सकती हैं और लोगों की मलेरिया से बचाव और उपचार तक पहुंच को सीमित कर सकती हैं। इससे विशेष रूप से उन क्षेत्रों में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है जहां पहले से ही मलेरिया का प्रकोप अधिक है और निरंतर निगरानी और नियंत्रण बेहद आवश्यक है।
हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं था कि जलवायु से जुड़ी इन बाधाओं का मलेरिया नियंत्रण पर कितना प्रभाव पड़ता है।
अध्ययन की मुख्य बातें:
यह अध्ययन Science जर्नल में प्रकाशित हुआ है, जिसमें मेडागास्कर के 500 घरों से एकत्र किए गए 20,718 मलेरिया संक्रमणों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। यह डेटा चक्रवात बटसिराई (2022) और फ्रेडी (2023) से पहले और बाद का है।
शोध में पाया गया कि जब इन चक्रवातों के कारण मलेरिया नियंत्रण गतिविधियों जैसे मच्छरदानी वितरण और दवाओं की उपलब्धता में रुकावट आई, तो स्कूल जाने वाले बच्चों में संक्रमण की दर तीन महीने के भीतर 10 प्रतिशत तक पहुंच गई।
महज कुछ हफ्तों के नियंत्रण-विहीन अंतराल में संक्रमण दर में तेज़ उछाल देखा गया — कुछ क्षेत्रों में हर दूसरा बच्चा संक्रमित पाया गया।
वैक्सीन की भूमिका:
शोधकर्ताओं ने मलेरिया की रोकथाम के लिए हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अनुशंसित RTS,S और R21 वैक्सीन के प्रभाव का मॉडलिंग के माध्यम से आकलन किया।
मॉडलिंग में पाया गया कि यदि 70% आबादी को टीका लगाया जाए, तो संक्रमण दर में 42% से 52% तक की गिरावट लाई जा सकती है।
टीम ने यह भी स्पष्ट किया कि अकेले वैक्सीन से मलेरिया पर काबू पाना संभव नहीं है। इसके लिए वैक्सीन के साथ दवाओं द्वारा रोकथाम और मच्छरदानियों जैसे पारंपरिक उपायों को मिलाकर बहुस्तरीय रणनीति अपनाना जरूरी है।