Mehandipur Balaji Temple: मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से घर नहीं लानी चाहिए कोई भी चीज, जानें क्या है वजह
दौसा। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान में स्थित भगवान हनुमान का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे संकट मोचन बालाजी के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में बालाजी के साथ ही प्रेतराज सरकार और भैरव बाबा की भी मूर्तियां हैं, और यह मंदिर भूतों-प्रेतों की बाधाओं से मुक्ति के लिए प्रसिद्ध है। यहां लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए पूजा-अर्चना करते हैं और बालाजी के सामने अपनी 'अर्जी' लगाते हैं।
कुछ रहस्य
1. भूत-प्रेत से मुक्ति पाने के लिए आते हैं लोग
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान में है। यह मंदिर भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति दिलाने के लिए प्रसिद्ध है। यहां हर रोज बड़ी संख्या में लोग आते हैं। मान्यता है कि यहां पर नकारात्मक ऊर्जा को हटाने के लिए स्वंय बालाजी महाराज भक्तों की सहायता करते हैं। मेहंदीपुर बालाजी से जुड़े इस रहस्य की भी बहुत चर्चा होती है। क्या वाकई यहां आने से प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है? यह एक ऐसा रहस्य है, जिसका सच पूरी तरह से किसी को नहीं पता। अलग-अलग लोगों की मान्यताएं अलग हैं।
2. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में हर देवता के लिए अलग प्रसाद का नियम
इस मंदिर में बालाजी, प्रेतराज और भैरों बाबा को अलग-अलग चीजें अर्पित की जाती हैं। बालाजी को लड्डू, प्रेतराज को चावल और भैरों को ऊड़द का भोग चढ़ाया जाता है। अब ऐसा क्यों है, इसके बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं है कि प्रेतराज को चावल का भोग ही क्यों लगाया जाता है। बुरी आत्माओं से पीड़ित लोग जब यह प्रसाद ग्रहण करते हैं, तो उनके व्यवहार में बदलाव देखा जाता है। मंदिर का नियम है कि आप यहां से प्रसाद या अन्य सामान नहीं ले जा सकते। मान्यता है कि ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा आपको प्रभावित कर सकती है।
3. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से नहीं लानी चाहिए कोई चीज
मान्यता है कि मेहंदीपुर बालाजी से कोई भी चीज की खरीदारी करके घर लेकर नहीं आनी चाहिए। कई लोग मेहंदीपुर बालाकी से विशेष झंडा खरीदकर घरों की छतों पर लगाते हैं या फिर कड़ा, प्रसाद, फूल आदि लेकर आते हैं लेकिन ऐसी मान्यता है कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से कोई भी सामान लेकर नहीं आना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा घर आ सकती है।
सावधानी
- मंदिर में प्रवेश करने से पहले और लौटते समय मांस, अंडा, शराब, प्याज और लहसुन का सेवन बंद कर देना चाहिए।
मंदिर में पूजा विधि
- यहां लोग अपनी 'अर्जी' लगाते हैं, जिसके लिए फॉर्म उपलब्ध होते हैं।
- अर्जी में अपनी समस्या और मन्नत की जानकारी भरनी होती है।
मंदिर का इतिहास
मेंहदीपुर बालाजी मंदिर के इतिहास से जुड़ी एक कहानी काफी प्रचलित है। इस मंदिर में तीन देवता लगभग 1 हजार साल से विराजमान हैं।
माना जाता है कि अरावली पहाड़ियों के बीच हनुमान भगवान की मूर्ति अपने आप बनी हुई है। इसे किसी भी कलाकार ने नहीं बनाया है।
वहीं कहा यह भी जाता है कि इस मंदिर के पुराने महंत को सपना आया था सपने में उन्होंने तीनों देवताओं को देखा था। इसे ही बालाजी मंदिर के निर्माण होने का संकेत माना जाता है।
इसके बाद ही इस मंदिर का निर्माण हुआ था।