जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पहलगाम जैसी घटनाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते...

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन कुछ अजीबोगरीब परिस्थितियां हैं।;

Update: 2025-08-14 08:11 GMT

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। एसजी तुषार मेहता ने कोर्ट से 8 हफ्ते सुनवाई टालने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने में जमीनी हालात को ध्यान में रखना होगा। वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन कुछ अजीबोगरीब परिस्थितियां हैं।

8 हफ्ते का समय दिए जाने की मांग की थी

मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि आप पहलगाम जैसी घटनाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते। मामले की सुनवाई 8 हफ्ते के लिए टली। वहीं एसजी ने कहा कि हमने चुनावों के बाद राज्य का दर्जा देने का आश्वासन दिया था। हमारे देश के इस हिस्से की एक अलग स्थिति है। कुछ अजीबोगरीब परिस्थितियां हैं। साथ ही उन्होंने कोर्ट से 8 हफ्ते का समय दिए जाने की मांग की थी।

नागरिकों के अधिकारों पर असर पड़ रहा

कोर्ट कॉलेज प्रोफेसर जहूर अहमद भट और कार्यकर्ता खुर्शीद अहमद मलिक की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस न देने से नागरिकों के अधिकारों पर असर पड़ रहा है। दरअसल, अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था। इसी के बाद से जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की मांग उठाई जा रही है।

5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 हटा

बता दें कि 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया था। इसी के बाद इसको वापस हासिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। 11 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान बेंच ने अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को बरकरार रखा था, लेकिन, केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जितनी जल्दी हो सके बहाल किया जाए। 

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