'एक और युद्ध नहीं झेल सकता पाकिस्तान' — मौलाना फजलुर रहमान ने पाक आर्मी पर साधा निशाना

पाकिस्तान के प्रमुख धर्मगुरु और जमीयतउलेमाएइस्लाम के मुखिया मौलाना फजलुर रहमान ने सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर और पाकिस्तानी सेना के रवैये पर तीखा हमला बोला है।;

By :  DeskNoida
Update: 2025-10-31 17:50 GMT

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने अब पाकिस्तान के अंदर ही राजनीतिक और धार्मिक हलकों में असंतोष को जन्म दे दिया है। पाकिस्तान के प्रमुख धर्मगुरु और जमीयतउलेमाएइस्लाम के मुखिया मौलाना फजलुर रहमान ने सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर और पाकिस्तानी सेना के रवैये पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने चेतावनी दी कि पाकिस्तान एक और युद्ध की तबाही झेलने की स्थिति में नहीं है।

मौलाना का सेना पर तीखा प्रहार

न्यूज18 की रिपोर्ट के अनुसार, मौलाना फजलुर रहमान ने कहा, “पाकिस्तान एक और खुद से किया गया युद्ध नहीं झेल सकता। सेना को 1971 का बांग्लादेश युद्ध और 1999 का कारगिल युद्ध याद रखना चाहिए। दोनों ही गलत नीतियों और सैन्य नेतृत्व की लापरवाही का नतीजा थे, जिनसे पाकिस्तान की साख अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बुरी तरह गिरी।”

उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना को अफगानिस्तान से युद्ध करने के बजाय खैबर पख्तूनख्वा में बढ़ते आतंकवाद, गिरती अर्थव्यवस्था और गवर्नेंस की कमी पर ध्यान देना चाहिए।

इस्लामिक दृष्टिकोण से भी हमला

मौलाना फजलुर रहमान ने यह भी कहा कि इस्लाम किसी मुस्लिम पड़ोसी देश के खिलाफ अनुचित हमले की इजाजत नहीं देता। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान पर किए गए हवाई हमले न सिर्फ नैतिक रूप से गलत हैं, बल्कि इससे पाकिस्तान की राजनीतिक और धार्मिक छवि को भी नुकसान हुआ है।

पाकिस्तान अफगानिस्तान वार्ता का नया दौर

इसी बीच पाकिस्तान सरकार ने घोषणा की है कि अफगानिस्तान के साथ अगली दौर की वार्ता 6 नवंबर को होगी। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी ने बताया कि इस बातचीत से “सकारात्मक परिणाम” की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान किसी भी सूरत में तनाव नहीं बढ़ाना चाहता और मध्यस्थता की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

युद्धविराम के बाद की स्थिति

इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर हुई झड़पों के बाद दोनों देशों के बीच एक अस्थायी युद्धविराम हुआ था। इसके बाद 18–19 अक्टूबर को दोहा, और 25 अक्टूबर को इस्तांबुल में शांति वार्ता के दो चरण हुए, लेकिन सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।

हालांकि, तुर्किये की मध्यस्थता के बाद इस प्रक्रिया को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश जारी है। अब छह नवंबर की बातचीत से उम्मीद जताई जा रही है कि दोनों देश स्थायी समाधान की दिशा में आगे बढ़ सकेंगे।

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