भाषा के मुद्दे पर महाराष्ट्र में सियासी घमासान! ठाकरे भाइयों ने मिलाया हाथ, संयुक्त रैली निकालने का लिया फैसला, जानें क्या है विवाद
संजय राउत ने अपने पोस्ट में लिखा कि महाराष्ट्र के स्कूलों में अनिवार्य हिंदी के खिलाफ एक एकीकृत मार्च होगा।;
मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में भाषा के मुद्दे को लेकर घमासान मचा है। वहीं दोनों अलग-थलग पड़े ठाकरे भाइयों के भी सुलह के संकेत मिल रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना 5 जुलाई को मुंबई में एक संयुक्त मार्च निकालने जा रहे हैं।
दोनों ने साथ आने का किया फैसला
बताया जा रहा था कि दोनों ही पार्टी अलग-अलग मार्च निकालेंगे, लेकिन अब राज्य पर हिंदी थोपे जाने के विरोध में दोनों ने साथ आने का फैसला किया है। दरअसल, शिवसेना उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने 'एक्स' पर एक तस्वीर शेयर की है। जिसमें उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ दिखाई दे रहे हैं।
हिंदी के खिलाफ एक एकीकृत मार्च होगा
वहीं संजय राउत ने अपने पोस्ट में लिखा कि महाराष्ट्र के स्कूलों में अनिवार्य हिंदी के खिलाफ एक एकीकृत मार्च होगा। ठाकरे ब्रांड हैं! मिली जानकारी के अनुसार उद्धव और राज ठाकरे दोनों गिरगांव चौपाटी से आजाद मैदान तक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करेंगे। यह कदम देवेंद्र फडणवीस सरकार की ओर से कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को वैकल्पिक तीसरी भाषा के रूप में पेश करने के फैसले के बीच उठाया गया है।
5 जुलाई को एक रैली होगी
दरअसल, शिवसेना (यूबीटी) सांसद ने कहा कि हम हिंदी के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन इसे जबरन लागू नहीं किया जाना चाहिए। उद्धव ठाकरे ने भी राज ठाकरे का रुख अपनाया है। 5 जुलाई को एक रैली होगी। हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि रैली कहां होगी और इसका समय क्या होगा।
हिंदी अनिवार्य नहीं होगी
बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में एक संशोधित आदेश जारी किया था। जिसमें कहा गया कि मराठी और इंग्लिश मीडियम स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा। लेकिन सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि हिंदी अनिवार्य नहीं होगी और किसी अन्य भारतीय भाषा को पढ़ने के लिए कम से कम 20 छात्रों की सहमति जरूरी होगी।
हिंदी को कक्षा 1 से पढ़ाना जरूरी नहीं है
वहीं इस मुद्दे पर विपक्ष के अलावा महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार भी फैसले खुश नहीं हैं। मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए पवार ने कहा कि छात्रों को मराठी की शिक्षा कक्षा 1 से मिलनी चाहिए, ताकि वे भाषा को पढ़ने और लिखने में दक्ष हो सकें। हिंदी को कक्षा 1 से पढ़ाना जरूरी नहीं है।
सीएम फडणवीस ने दिया यह बयान
बता दें कि सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे पर साफ किया कि तीसरी भाषा नीति पर अंतिम निर्णय सभी हितधारकों-साहित्यकारों, भाषाविदों और राजनीतिक नेताओं से विचार-विमर्श के बाद ही लिया जाएगा।