Pradosh Vrat 2025: क्यों किया जाता है प्रदोष व्रत, जानें किस प्रदोष व्रत को करने से मिलता है कौन-सा फल

Update: 2025-08-01 02:30 GMT

नई दिल्ली। प्रदोष व्रत, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो प्रत्येक माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है, और यह भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। सप्ताह के सात दिनों के अनुसार प्रदोष व्रत का नाम और उसका महत्व बदल जाता है, और प्रत्येक प्रकार के प्रदोष व्रत के अपने विशिष्ट लाभ हैं।

प्रदोष व्रत और उसके फल

रवि प्रदोष व्रत- रविवार को पड़ने वाले इस प्रदोष व्रत को करने से व्यक्ति को दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य का वरदान मिलता है।

सोम प्रदोष व्रत- सोमवार को पड़ने वाला यह व्रत साधक की सभी मनोकामनाओं को पूरा करता है, यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

भौम प्रदोष व्रत- मंगलवार को आने वाले इस व्रत को करने से साधक को स्वास्थ्य संबंधी आशीर्वाद मिलता है, और यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है।

बुध प्रदोष व्रत- बुध ग्रह के स्वामी शिव जी के आशीर्वाद से इस व्रत को करने से जातक को अपनी इच्छा अनुसार फल की प्राप्ति होती है, ऐसा माना जाता है।

गुरु प्रदोष व्रत - गुरु प्रदोष व्रत करने से साधक को अपने दुश्मनों से छुटकारा मिलता है।

शुक्र प्रदोष व्रत - शुक्रवार के दिन पड़ने वाले इस प्रदोष व्रत को करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है।

शनि प्रदोष व्रत - शनि प्रदोष व्रत करने से साधक को शनि की बाधा से तो मुक्ति मिलती ही है। साथ ही संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत उत्तम माना गया है।

सामान्य महत्व

- प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

- इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और शिव धाम की प्राप्ति होती है।

- यह भी माना जाता है कि प्रदोष व्रत रखने या दो गाय दान करने से समान फल प्राप्त होता है।

- शास्त्रों के अनुसार, 11 या 26 त्रयोदशी तिथियों तक प्रदोष व्रत रखना विशेष रूप से शुभ माना जाता है, जिससे भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

प्रदोष व्रत क्यों किया जाता है?

1. चंद्रमा को क्षय रोग से मुक्ति- पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रमा को क्षय रोग था और वे कष्ट में थे, तब भगवान शिव ने त्रयोदशी के दिन उन्हें पुनर्जीवन प्रदान किया था, इसलिए इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा और यह व्रत रखा जाता है।

2. पापों का नाश और शिव धाम की प्राप्ति- यह व्रत करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और शिव धाम की प्राप्ति होती है।

3. मनोकामनाओं की पूर्ति- शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की हर मनोकामना यथाशीघ्र पूरी होती है।

4. शत्रुओं का विनाश और नकारात्मकता से मुक्ति- सप्ताह के अलग-अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत का अपना विशेष फल होता है, जैसे गुरुवार के प्रदोष से शत्रुओं का विनाश होता है, और सोम प्रदोष से नकारात्मकता से छुटकारा मिलता है।

5. भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा- इस व्रत से भगवान शिव और माता पार्वती भक्तों पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखते हैं।

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