आज अरावली केस की सुनवाई! CJI की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच सुनेगी मामला, सड़क पर विपक्षी दलों ने किया प्रोटेस्ट

Update: 2025-12-29 05:12 GMT

नई दिल्ली। अरावली हिल्स में खनन से जुड़े स्वत:संज्ञान मामले पर आज को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस की अगुआई में तीन जजों की बेंच इस मामले को सुनेगी। पूर्व वन संरक्षण अधिकारी आर पी बलवान ने भी इस संबंध में याचिका दायर की है। कोर्ट के हस्तक्षेप से पर्यावरण हितैषियों में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जगी है। मामले की सुनवाई CJI सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच करेगी। यह मामला ‘In Re: Definition of Aravalli Hills and Ranges and Ancillary Issues’ शीर्षक से लिस्‍टेड है। इससे पहले 20 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों और श्रेणियों (रेंज) की एक समान और वैज्ञानिक परिभाषा को मंजूरी दी थी।

थार रेगिस्तान का रास्ता खुलने की चेतावनी

पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि अरावली पहाड़ियां थार रेगिस्तान को दिल्ली-NCR तक फैलने से रोकने वाली हरी दीवार हैं। लेकिन 10-30 मीटर ऊंची पहाड़ियों को "नॉन-हिल" मानने से उनके खत्म होने का खतरा बढ़ेगा। इससे धूल भरी आंधियां, भूजल स्तर में गिरावट और उत्तर भारत में वायु प्रदूषण और गंभीर हो सकता है।

विपक्ष का प्रदर्शन

बता दें कि जयपुर और दिल्ली-NCR सहित कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि छोटी पहाड़ियां रेगिस्तान के विस्तारको रोकने के लिए एक 'ग्रीन बैरियर' के रूप में काम करती हैं।

विवाद का कारण

विवाद की शुरूआत नवंबर 2025 का वह आदेश है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने अरावली की एक नई वैज्ञानिक परिभाषा को स्वीकार किया था। इसके तहत केवल 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली भू-आकृतियों को ही 'अरावली पहाड़ी' माना जाएगा। पर्यावरणविदों और विपक्षी दलों का कहना है कि इस '100 मीटर नियम' से अरावली की लगभग 90% छोटी पहाड़ियां कानूनी सुरक्षा से बाहर हो जाएंगी, जिससे अवैध खनन का रास्ता खुल सकता है।

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