मां लक्ष्मी का ऐसा मंदिर जहां दिवाली पर सौभाग्य और समृद्धि के लिए जलाए जाते है 'समृद्धि दीप', जानें क्या है इतिहास

Update: 2025-10-18 15:00 GMT

कोल्हापुर। महाराष्ट्र के कोल्हापुर अंबा बाई मंदिर में दिवाली पर 'समृद्धि दीप' जलाया जाता है, जिसका दर्शन भक्तों की मुरादें पूरी करता है। यह एक विशेष अनुष्ठान है जो दिवाली के दौरान होता है, जिसमें मंदिर में 'समृद्धि दीप' जलाए जाते हैं, जिससे भक्तों को सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होती है। माना जाता है कि यह दीया पूरे वर्ष सुख, संपत्ति और शांति का प्रतीक होता है।

प्राचीन इतिहास

यह मंदिर 1700-1800 साल पुराना है और इसकी वास्तुकला अनोखी है। मान्यता है कि इस मंदिर में वर्ष में केवल तीन दिन सूर्य की किरणें देवी मां को स्पर्श करती हैं: पहले दिन माथे पर, फिर कमर पर और फिर पैरों पर।

समृद्धि दीप- इस विशेष दीप को दिवाली पर जलाया जाता है और यह समृद्धि और खुशहाली लाता है।


सूर्य की किरणें- अंबाबाई मंदिर की एक और विशेषता यह है कि वर्ष में केवल तीन दिनों में सूर्य की किरणें सीधे देवी मां की प्रतिमा को छूती हैं, जिससे भक्तों को दिव्य अनुभव होता है।

वास्तुकला- मंदिर की अनूठी वास्तुकला और दीवारों पर की गई बारीक नक्काशी देखने लायक है।

ऐतिहासिक महत्व- ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण चालुक्य वंश के राजा कर्णदेव ने करवाया था और बाद में आक्रमणकारियों द्वारा क्षतिग्रस्त होने के बाद इसका कई बार पुनर्निर्माण किया गया है।

आर्थिक समस्याओं से मिलता है छुटकारा

यह मंदिर बहुत प्राचीन है, उसी वजह से मंदिर की मान्यता बहुत ज्यादा है। दिवाली के समय मंदिर में मां अबां बाई को विशेष तौर पर सुंदर सोने के गहनों से सजाया जाता है और मंदिर की रौनक देखते ही बनती है। भक्त दूर-दूर से मां अबां बाई के दर्शन के लिए आते हैं और कर्ज और पैसों की तंगी से निजात पाते हैं। भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में मांगी गई हर मुराद मां अंबा पूरी करती है और भक्तों की झोली धन-धान्य से भरती है। इसके अलावा दिवाली की रात को मंदिर के शिखर पर एक दीया जलाया जाता है, जो अगली अमावस्या तक लगातार जलता है। मां अबां बाई मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। 

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