ट्रंप ने चीन पर 50-100% टैरिफ लगाने की मांग की, रूस की युद्ध मशीन तोड़ने का दिया तर्क

ट्रंप ने नाटो देशों से अपील की है कि वे चीन पर 50 से 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाएं, ताकि रूस पर उसकी आर्थिक पकड़ कमजोर हो और युद्ध समाप्त हो सके।;

By :  DeskNoida
Update: 2025-09-13 17:00 GMT

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए चीन पर कड़ा आर्थिक प्रहार करने की मांग की है। ट्रंप ने नाटो देशों से अपील की है कि वे चीन पर 50 से 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाएं, ताकि रूस पर उसकी आर्थिक पकड़ कमजोर हो और युद्ध समाप्त हो सके।

नाटो देशों को लिखा पत्र

शनिवार को ट्रंप ने नाटो सदस्य देशों को एक पत्र लिखकर रूस के खिलाफ कड़े कदम उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि सभी नाटो देश रूसी तेल की खरीद बंद करें और बड़े स्तर पर रूस पर प्रतिबंध लगाएं। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “मैं रूस पर बड़े प्रतिबंध लगाने को तैयार हूं, लेकिन तब जब सभी नाटो देश एकमत होकर यही कदम उठाएं और रूसी तेल की खरीद पूरी तरह बंद करें।”

चीन पर टैरिफ की वकालत

ट्रंप ने आगे कहा, “इसके अलावा, नाटो को समूह के रूप में चीन पर 50% से 100% तक टैरिफ लगाने चाहिए। ये टैरिफ तभी हटाए जाएं जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध समाप्त हो। यह कदम इस घातक और बेतुके युद्ध को खत्म करने में बहुत मदद करेगा।”

रूस के तेल खरीददार देशों पर दबाव

रिपोर्ट्स के अनुसार, नाटो सदस्य तुर्किये रूस के तेल का तीसरा सबसे बड़ा खरीदार है, जबकि चीन और भारत पहले और दूसरे स्थान पर हैं। इसके अलावा, हंगरी और स्लोवाकिया जैसे नाटो सदस्य भी रूसी तेल खरीदते हैं। ट्रंप ने चेतावनी दी है कि यदि युद्ध खत्म करने की दिशा में प्रगति नहीं हुई तो वे रूस पर ही नहीं, बल्कि रूस से तेल खरीदने वाले देशों जैसे चीन और भारत पर भी सेकेंडरी सैंक्शन्स लगाने पर मजबूर होंगे।

हालिया तनाव और भारत पर असर

यह बयान ऐसे समय आया है जब हाल ही में कई रूसी ड्रोन पोलैंड की हवाई सीमा में दाखिल हुए, जिसे नाटो के लिए गंभीर सुरक्षा चुनौती माना जा रहा है। इससे पहले, पिछले महीने अमेरिका ने भारतीय सामान पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया था, यह कहते हुए कि भारत रूसी तेल की खरीद जारी रखे हुए है। हालांकि, चीन के खिलाफ ऐसे सीधे कदम अब तक नहीं उठाए गए हैं।

ट्रंप की यह सख्त नीति रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की दिशा में एक नई रणनीति मानी जा रही है, लेकिन इससे वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक संतुलन पर बड़ा असर पड़ सकता है।

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