दीपक जलाने को लेकर भगवान बुद्ध ने क्या कहा था? जानें हिंदू धर्म में दीपक जलाने का फलदायी तरीका
नई दिल्ली। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि जब श्री राम लंका में रावण का अंत करके अयोध्या लौटे थे तब उनके आने की खुशी में अयोध्या में दीपोत्सव मनाया गया था। तब से दीपावली मनाई जा रही है। वही बौद्ध धर्म में यह मान्यता है कि भगवान बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के पश्चात अपने घर कपिलवस्तु लौटे थे। उनके आने की खुशी में दीपक जलाए गए थे। उसे दिन कार्तिक मास की अमावस्या की रात थी। तब से दीपावली का पर्व मनाया जाता है।
दीपक जलाने को लेकर बुद्ध ने क्या कहा था
भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के पश्चात अपने अनुयायियों को अंतिम संदेश दिया था। इस संदेश में उन्होंने कहा था अप दीपो भव:। यह संदेश पाली भाषा में था। इस संदेश का मतलब होता है कि अपने अंदर दीपक जलाओ, इसके लिए किसी बाहरी शक्ति, ईश्वर या चमत्कार की जरूरत नहीं है। अपने अंदर इस तरह से दीपक जलाओ जिसमें ज्ञान, विवेक और तर्क जगा सको। उन्होंने कहा था कि अपने अंदर दीपक जलाने का मतलब होता है अंधकार पर विजय की प्राप्ति।
हिंदू धर्म में दीपक जलाने का फलदायी तरीका
हिंदू धर्म में दीपक जलाने को लेकर शास्त्रों का निर्देश है। शास्त्रों के अनुसार दीपावली पर दीप का नया होना जरूरी है। पुराना दीप जलाना अशुभ होता है। शास्त्रों के अनुसार दीपावली का त्यौहार सिर्फ रोशनी का नहीं है, यह सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और भगवती लक्ष्मी के घर आगमन का शुभ प्रतीक है।
टूटा या 'खण्डित' दीपक जलाना शास्त्रों में 'अत्यंत अशुभ'
टूटा या 'खण्डित' दीपक जलाना शास्त्रों में 'अत्यंत अशुभ' माना गया है। इससे घर में धन और समृद्धि की हानि होती है। पुरानी दीये अक्सर कहीं न कहीं से चटक जाते हैं। बता दें कि दिवाली की मुख्य लक्ष्मी पूजा में इस्तेमाल किए गए मिट्टी के दीयों को दोबारा प्रयोग करना अशुभ मानता है। यम दीपक को सरसों के तेल के साथ, पुराने मिट्टी के दीये में जलाया जा सकता है। यह अकेला ऐसा मिट्टी का दीपक है, जिसे धार्मिक उद्देश्य से पुराना इस्तेमाल करने की अनुमति है। दिवाली पूजा के लिए नए मिट्टी के दीये, लेकिन यम दीपक के लिए पुराना दीया इस्तेमाल किया जा सकता है।