योगी कैबिनेट के बड़े फैसले: पर्यटन को नई उड़ान, दिव्यांगों को राहत, 19 प्रस्तावों को मंजूरी
इन निर्णयों को मुख्यमंत्री योगी के शासन की नई दिशा माना जा रहा है, जिसमें पर्यटन से लेकर उद्योग, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा तक कई क्षेत्रों में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।;
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में राज्य के विकास, पर्यटन, बुनियादी ढांचे, खेल, दिव्यांग कल्याण और प्रशासनिक सुधार से जुड़े कुल 19 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इन निर्णयों को मुख्यमंत्री योगी के शासन की नई दिशा माना जा रहा है, जिसमें पर्यटन से लेकर उद्योग, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा तक कई क्षेत्रों में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।
बैठक में सबसे महत्वपूर्ण फैसला पर्यटन विभाग से संबंधित रहा। सरकार ने उत्तर प्रदेश अधीनस्थ पर्यटन सेवा नियमावली-2025 को मंजूरी देकर पर्यटन विभाग की प्रशासनिक संरचना को आधुनिक और मजबूत बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। नई नियमावली के तहत प्रकाशन अधिकारी, पर्यटन सूचना अधिकारी और अपर जिला पर्यटन अधिकारी जैसे पद अब सीधी भर्ती और पदोन्नति दोनों माध्यमों से भरे जाएंगे। इससे विभाग में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ने की उम्मीद है। इसी के साथ अयोध्या में मंदिर संग्रहालय की स्थापना और बागपत में अंतरराष्ट्रीय योग एवं आरोग्य केंद्र विकसित करने के फैसले को भी मंजूरी दी गई। सरकार का लक्ष्य उत्तर प्रदेश को वेलनेस और धार्मिक पर्यटन का वैश्विक केंद्र बनाना है।
सरकार ने दिव्यांगजनों को राहत देने के लिए प्रत्येक मंडल मुख्यालय पर जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र स्थापित करने को मंजूरी दे दी है। इन केंद्रों पर दिव्यांगजनों को पहचान पत्र, सहायक उपकरण, कृत्रिम अंग, फिजियोथेरेपी और स्पीच थेरेपी जैसी सेवाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध होंगी। अभी प्रदेश में 38 जिलों में ऐसे केंद्र हैं, लेकिन सुविधाओं के अभाव में इनका संचालन प्रभावित हो रहा था। नई व्यवस्था से दिव्यांगों को समय पर सेवाएं मिल सकेंगी।
खेल क्षेत्र में बड़ा बदलाव करते हुए योगी सरकार ने फैसला किया है कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले खिलाड़ियों की अवधि को ड्यूटी माना जाएगा। पहले खिलाड़ियों को प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए अनुमति प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था, जो समय लेने वाला था। नए नियम से खिलाड़ियों को राहत मिलेगी और राज्य के प्रदर्शन में सुधार होगा।
उद्योग और पर्यावरण से जुड़े फैसले भी इस बैठक में शामिल रहे। अब उद्योगों, टाउनशिप और नगर निकायों को जल और वायु प्रदूषण से संबंधित एनओसी लेना पहले से महंगा पड़ेगा। साल 2008 के बाद पहली बार शुल्कों में बढ़ोतरी की गई है। प्रदूषण के स्तर और पूंजी निवेश के आधार पर शुल्क तय किया गया है। इसी प्रकार एग्रो, पल्प और पेपर उद्योग से जुड़ी तीन कंपनियों को प्रोत्साहन राशि देने का भी निर्णय लिया गया।
राज्य की सड़क और परिवहन व्यवस्था को मजबूत करने के तहत चंदौली-सकलडीहा-सैदपुर मार्ग को चार लेन करने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। यह सड़क गाजीपुर, जौनपुर, आजमगढ़ और बलिया जैसे जिलों के लिए उपयोगी साबित होगी और व्यस्त मार्गों पर यातायात का दबाव कम होगा। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे पर घाघरा पुल के पास बने तटबंध की मरम्मत और सुदृढ़ीकरण कार्य में वृद्धि की मंजूरी भी दी गई, जिससे परियोजना लागत बढ़कर 7529.65 करोड़ रुपये हो गई है।
पेयजल सुविधा को लेकर भी कैबिनेट ने अहम फैसला किया। अमृत 2.0 योजना के तहत कानपुर और बरेली में 580 करोड़ रुपये की लागत से पेयजल पाइपलाइन और जलापूर्ति व्यवस्था को मजबूत किया जाएगा, जिससे लाखों लोगों को साफ और सुरक्षित पेयजल मिल सकेगा।
कैबिनेट ने जेल सुधार की दिशा में भी कदम उठाया है। अब जेलों में जाति के आधार पर काम का बंटवारा नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद नियमों में यह बदलाव किया गया है। Uttar Pradesh Pension Eligibility Ordinance को भी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बिल के रूप में पेश किया जाएगा ताकि पेंशन केवल उन्हीं कर्मचारियों को मिले जिनकी नियुक्ति वैध प्रक्रिया के अनुसार हुई हो।
इन फैसलों से साफ है कि योगी सरकार पर्यटन, बुनियादी ढांचे, सामाजिक सुरक्षा, खेल और उद्योग विकास को लेकर तेजी से काम कर रही है। सरकार का दावा है कि इन नीतिगत सुधारों से राज्य में रोजगार, निवेश और विकास के नए अवसर खुलेंगे।