ठाणे हादसे के 14 साल बाद पीड़ित को मिला 41.71 लाख रुपये मुआवज़ा
दावा करने वाले मनीष विजय सुतार, जो उस वक्त 12 साल के थे, अपने पिता के साथ बाइक पर पीछे बैठे थे। 8 मई 2011 को वाडा-भिवंडी रोड पर पीछे से आ रहे ट्रेलर ट्रक ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी थी। इस टक्कर में उनके पिता करीब 30 फीट तक घिसट गए और मौके पर ही उनकी मौत हो गई थी।;
महाराष्ट्र के ठाणे जिले में 14 साल पहले हुए एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए युवक को मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) ने 41.71 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह फैसला मंगलवार को सदस्य आर.वी. मोहिटे की अध्यक्षता में दिया गया।
दावा करने वाले मनीष विजय सुतार, जो उस वक्त 12 साल के थे, अपने पिता के साथ बाइक पर पीछे बैठे थे। 8 मई 2011 को वाडा-भिवंडी रोड पर पीछे से आ रहे ट्रेलर ट्रक ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी थी। इस टक्कर में उनके पिता करीब 30 फीट तक घिसट गए और मौके पर ही उनकी मौत हो गई थी।
हादसे में मनीष के शरीर का निचला हिस्सा बुरी तरह कुचल गया था। उनकी पेल्विक हड्डियां टूट गई थीं, मूत्रमार्ग पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था और उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कर इलाज कराना पड़ा। उन्हें यूरोप्लास्टी ऑपरेशन से गुजरना पड़ा और अब जीवनभर कैथेटर का इस्तेमाल करना पड़ता है। इस कारण उन्हें बार-बार संक्रमण होता है और वे सामान्य जीवन नहीं जी पाते। इस स्थिति के चलते उनकी वैवाहिक संभावनाएं भी समाप्त हो गई हैं।
दुर्घटना के समय ट्रेलर चालक की तेज़ गति और नियंत्रण खोने की बात सामने आई थी। सड़क पर 35 फीट लंबे टायर के निशान मिले, जिससे यह साफ हुआ कि ट्रेलर चालक लापरवाही से गाड़ी चला रहा था।
पीड़ित ने 52 फीसदी विकलांगता का दावा किया था, लेकिन न्यायाधिकरण ने 40 फीसदी स्थायी कार्यक्षमता में कमी मानी। न्यायाधिकरण ने 12,000 रुपये मासिक आय मानकर 18 का गुणक लगाते हुए विभिन्न मदों में मुआवजा तय किया। इसमें इलाज के लिए 13.5 लाख, भविष्य की आय की हानि के लिए 10.36 लाख, भविष्य की संभावनाएं 4.14 लाख, दर्द और कष्ट के लिए 6 लाख, वैवाहिक जीवन की हानि के लिए 3 लाख, भविष्य के इलाज के लिए 4 लाख, विशेष आहार व परिवहन खर्च के लिए 15-15 हजार और घरेलू सहायिका सेवा के लिए 40 हजार रुपये शामिल हैं।
अदालत ने माना कि पीड़ित को जीवनभर कैथेटर के साथ रहना पड़ेगा और नियमित इलाज की आवश्यकता बनी रहेगी। साथ ही यह भी कहा कि पीड़ित सामान्य जीवन नहीं जी पाएगा और पिता बनने की संभावना भी नहीं रह गई है।
न्यायाधिकरण ने ट्रेलर मालिक और बीमा कंपनी को संयुक्त रूप से यह राशि 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ अदा करने का आदेश दिया है। इसमें से 25 लाख रुपये पीड़ित के नाम पर पांच साल की सावधि जमा में निवेश किए जाएंगे और बाकी राशि चेक के माध्यम से दी जाएगी।