पूर्णिया के पूरनदेवी मंदिर के लिए एक नवाब ने दी थी जमीन! जाने अनसुने इतिहास...

Update: 2025-12-15 02:30 GMT

पूर्णिया। बिहार के पूर्णिया शहर में स्थित पूरण देवी मंदिर (Maa Puran Devi Mandir) केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि जिले की पहचान और आस्था का प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर करीब 500 से 600 साल पुराना माना जाता है, और कई इतिहासकारों का मानना है कि पूर्णिया जिले का नाम भी इसी देवी के नाम पर पड़ा है।

प्रमुख समाचार: धार्मिक पर्यटन के रूप में विकास

सबसे ताजा खबर यह है कि बिहार सरकार ने इस ऐतिहासिक मंदिर को एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की पहल की है।

₹39 करोड़ का विकास कार्य: राज्य सरकार ने मंदिर परिसर में अत्याधुनिक पर्यटकीय सुविधाओं के विकास के लिए लगभग ₹39 करोड़ की लागत वाली परियोजना को मंजूरी दी है।

आधुनिक मॉडल: इस योजना के तहत मंदिर को एक अत्याधुनिक मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसमें सप्तर्षि की स्थापना, भव्य प्रवेश और निकास द्वार, गेस्ट हाउस, कॉटेज, पार्क, पाथवे और एक फुट ओवर ब्रिज कोरीडोर का निर्माण शामिल है।

कनेक्टिविटी: मंदिर को स्टेट हाइवे से सीधे जोड़ने के लिए 5.50 करोड़ की लागत से 700 मीटर सड़क भी बनाई जा रही है, ताकि श्रद्धालुओं की राह आसान हो सके।

मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

दस महाविद्याओं का प्रतीक: पूरण देवी को दुर्गा के दसों स्वरूपों (दस महाविद्याओं) का संयुक्त रूप माना जाता है, जिस कारण यहां पूरे साल भक्तों की भीड़ रहती है, खासकर नवरात्रि के दौरान।

हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक: इतिहास के अनुसार, इस मंदिर के निर्माण के लिए जमीन तत्कालीन नवाब शौकत अली ने दान में दी थी, जो इसे हिंदू-मुस्लिम सद्भाव का एक अनूठा उदाहरण बनाता है।

लोक मान्यता: यह मंदिर अपनी चमत्कारी मान्यताओं के लिए भी प्रसिद्ध है; यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।

Tags:    

Similar News