भारत का एक ऐसा मंदिर जहां मदिरा से भरा पात्र भगवान की प्रतिमा के मुख से लगाते ही खाली हो जाता है...

Update: 2025-12-19 02:30 GMT

उज्जैन का काल भैरव मंदिर दुनिया के सबसे रहस्यमयी धार्मिक स्थलों में से एक है, जहां भगवान को फूल-प्रसाद नहीं बल्कि शराब (मदिरा) का भोग लगाया जाता है।

मुख्य आकर्षण: मदिरा का चमत्कार

इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जब पुजारी मदिरा से भरा पात्र भगवान की प्रतिमा के मुख से लगाते हैं, तो देखते ही देखते वह खाली हो जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि प्रतिमा के पीछे या नीचे कोई गुप्त रास्ता या छेद नहीं मिला है। विज्ञान के पास भी इसका कोई ठोस जवाब नहीं है।

मंदिर का इतिहास और महत्व

स्थापना: माना जाता है कि इसका निर्माण प्राचीन काल में राजा भद्रसेन ने करवाया था। स्कंद पुराण में भी इसका वर्णन मिलता है।

नगर के कोतवाल: काल भैरव को उज्जैन (अवंतिका) का कोतवाल माना जाता है। मान्यता है कि बाबा महाकाल के दर्शन के बाद यहाँ हाजिरी लगाना अनिवार्य है।

तांत्रिक परंपरा: यह मंदिर सदियों से कापालिक और अघोर संप्रदायों का प्रमुख केंद्र रहा है। यहाँ 'पंचमकार' क्रिया के तहत मदिरा अर्पित की जाती है।

खास बातें

सरकारी ठेका: मंदिर के बाहर लाइसेंस प्राप्त शराब की दुकानें हैं, जहाँ प्रशासन द्वारा प्रमाणित प्रसाद (शराब) मिलता है।

मराठा प्रभाव: मंदिर के वर्तमान स्वरूप में मराठा वास्तुकला की झलक मिलती है। महान मराठा सेनापति महादजी शिंदे ने युद्ध में विजय के बाद इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था।

विविध भोग: विशेष अवसरों पर यहाँ 'छप्पन भैरव' को 100 से अधिक प्रकार की शराब, सिगरेट और अन्य नशीले पदार्थों का भोग भी लगाया जाता है।

Tags:    

Similar News