भारत का एक ऐसा मंदिर जहां भगवान राम की मूर्ति के हाथों में नहीं है कोई अस्त्र, जानें नाम और इतिहास

Update: 2025-12-12 02:30 GMT

बेंगलुरू। कर्नाटक में रघुनाथ मंदिर हम्पी के पास माल्यवंत पहाड़ी पर स्थित है, जिसे आधिकारिक तौर पर श्री माल्यवंत रघुनाथस्वामी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर रामायण काल से जुड़ी मान्यताओं और अपनी अनूठी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान राम और रामायण से जुड़ा है, यह एक पहाड़ी पर बना है और यहां भगवान राम की ध्यान मुद्रा वाली अनोखी मूर्ति है, जो शांति और सांत्वना के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।

ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व

मान्यता है कि ऐसी मान्यता है कि भगवान राम और लक्ष्मण सीता की खोज के दौरान वर्षा ऋतु में इसी पहाड़ी पर रुके थे, इससे पहले कि वे लंका की ओर प्रस्थान करते। यह स्थल किष्किंधा साम्राज्य का हिस्सा माना जाता है। इसी स्थान पर हनुमान जी ने सीता माता के कुशल होने की सूचना दी थी, इसलिए यह सुख-दुख दोनों से जुड़ा है।

वास्तुकला और मूर्ति

⦁ यह मंदिर एक विशाल चट्टान को काटकर बनाया गया है, जिसमें गुफा जैसी संरचनाएं हैं।

⦁ गर्भगृह में भगवान राम की ध्यान मुद्रा (बैठे हुए) में मूर्ति है, जो धनुष-बाण के बिना है, जो इसे अद्वितीय बनाता है।

⦁ सीता माता और लक्ष्मण भी राम के साथ विराजमान हैं।

भगवान राम की इकलौती ऐसी मूर्ति

खास बात ये है कि मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम की ऐसी मूर्ति मौजूद है, जो ध्यान की मुद्रा को दिखाती है। गर्भगृह में भगवान राम आसन पर बैठे हैं। उनके साथ कमल पर मां सीता और बगल में भगवान लक्ष्मण भी मौजूद हैं। यह भारत की पहली भगवान राम की ऐसी मूर्ति है, जिनके हाथों में कोई अस्त्र नहीं है। आमतौर पर भगवान राम के साथ हमेशा धनुष और बाण देखा गया है। मंदिर का ज्यादातर हिस्सा अब जर्जर हो चुका है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि मुगल काल में मंदिर को तोड़ने की कोशिश की गई थी। मंदिर के सामने आज भी एक विशाल शिला मौजूद है।

यहां भगवान राम ने चलाया था तीर

कर्नाटक के हम्पी के वेंकटपुरा के पास श्री माल्यवंत रघुनाथ मंदिर स्थापित है। यह मंदिर जमीन पर नहीं बल्कि पहाड़ी पर शिला को काटकर बनाया गया है। बड़ी सी शिला में कई तरह की दरारें आज भी मौजूद हैं। माना जाता है कि भगवान राम ने यहां अपना निवास स्थान बनाने के लिए पहले तीर चलाया। तीर चलाने की वजह से शिला में कई दरारें पड़ गईं, जो आज तक मौजूद हैं।

क्या है मंदिर की विशेषता?

यह कर्नाटक में भगवान राम का एक अनोखा पहाड़ी मंदिर है जहां आज भी पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। मंदिर की संरचना एक बड़े प्राकृतिक पत्थर के चारों ओर बनाई गई है, जिसके ऊपर एक शिखर (spire) भी निर्मित है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर मछली और अन्य समुद्री जीवों की नक्काशी देखी जा सकती है, जो इसे और भी विशिष्ट बनाती है।

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