ऑस्ट्रेलिया ने ईरान की IRGC को घोषित किया आतंकी संगठन, यहूदी समुदाय पर हमलों की साजिश के आरोप में कार्रवाई
ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने ईरान की ताकतवर सैन्य इकाई इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) को आतंकवाद के राज्य प्रायोजक (State Sponsor of Terrorism) के रूप में सूचीबद्ध कर दिया है।;
दुनिया भर में चरमपंथ और आतंकवाद को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच ऑस्ट्रेलिया ने गुरुवार को एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने ईरान की ताकतवर सैन्य इकाई इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) को आतंकवाद के राज्य प्रायोजक (State Sponsor of Terrorism) के रूप में सूचीबद्ध कर दिया है। यह पहला अवसर है जब नए आतंकवाद-विरोधी कानून के तहत किसी विदेशी सैन्य संगठन को इस श्रेणी में रखा गया है।
यह फैसला ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा एवं खुफिया संगठन ASIO की उस विस्तृत रिपोर्ट के बाद लिया गया, जिसमें IRGC पर ऑस्ट्रेलिया में यहूदी समुदाय के खिलाफ हमले की साजिश रचने का आरोप लगाया गया। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि IRGC ने देश में यहूदियों को निशाना बनाकर दो बड़े हमलों की योजना बनाई थी। सरकार ने इन घटनाओं को ‘‘कायरतापूर्ण प्रयास’’ बताते हुए कहा कि इसका उद्देश्य ऑस्ट्रेलिया के बहुसांस्कृतिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाना था।
नए कानून के तहत पहली सूचीबद्धता
ऑस्ट्रेलिया की संसद द्वारा हाल ही में पारित आपराधिक संहिता संशोधन (आतंकवाद के राज्य प्रायोजक) अधिनियम 2025 के तहत IRGC पहला ऐसा संगठन बन गया है जिसे आधिकारिक रूप से आतंकवाद प्रायोजक घोषित किया गया है। इसका मतलब यह है कि अब संगठन से जुड़े किसी भी प्रकार की सहायता, समर्थन, वित्तीय लेनदेन या प्रचार जैसी गतिविधियां आपराधिक कृत्य मानी जाएंगी।
गृह मंत्रालय ने कहा कि यह निर्णय खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के ‘‘गोपनीय आकलन’’ पर आधारित है, जो इस बात को पुष्ट करता है कि IRGC ने विदेशी धरती पर ऐसे नेटवर्क विकसित करने का प्रयास किया जो ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनौती देते हैं।
सरकार के शीर्ष मंत्रियों ने दी कड़ी प्रतिक्रियाएं
गृह मंत्री टोनी बर्क ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह कदम ईरानी शासन की ‘‘घृणित और अस्वीकार्य’’ गतिविधियों का सीधा और ठोस जवाब है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को चरमपंथी तत्वों और उनके नेटवर्क को समाप्त करने के लिए अधिक अधिकार मिलेंगे।
विदेश मंत्री पेनी वोंग ने इसे ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय संप्रभुता पर ‘‘सीधी आक्रामकता’’ करार दिया। उन्होंने कहा कि यह अभूतपूर्व कार्रवाई देश की सुरक्षा को मजबूत करने और विदेशी आतंकवादी हस्तक्षेप को रोकने के लिए आवश्यक थी। वोंग ने चेतावनी दी कि ‘‘ऑस्ट्रेलिया की जमीन पर IRGC की भूमिका बेहद खतरनाक है और इसके लिए कोई जगह नहीं है।’’
वहीं, अटॉर्नी जनरल मिशेल रॉलैंड ने कहा कि यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि ऑस्ट्रेलिया के आतंकवाद विरोधी कानून न सिर्फ असरदार हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर होने वाले खतरों के अनुरूप निरंतर विकसित हो रहे हैं। उन्होंने इसे एक ‘‘तत्काल और आवश्यक’’ कार्रवाई बताया।
क्यों बढ़ रही चिंता?
विश्लेषकों का मानना है कि ईरान की IRGC वैश्विक स्तर पर ऐसे संगठनों और गतिविधियों को प्रोत्साहित करती है जो पश्चिमी देशों की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। ऑस्ट्रेलिया के द्वारा उठाया गया यह कदम न केवल ईरान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दबाव को बढ़ाता है, बल्कि यह भी बताता है कि अब कोई भी देश अपनी भूमि पर बाहरी चरमपंथी हस्तक्षेप को सहन करने के मूड में नहीं है।
ऑस्ट्रेलिया के इस फैसले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई बहस को जन्म दिया है। क्या यह कदम अन्य देशों को भी इसी दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा? इसका जवाब आने वाले दिनों की कूटनीतिक गतिविधियों और वैश्विक सुरक्षा समीकरणों में छिपा है।