पश्चिम बंगाल में SIR फॉर्म भरते समय बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार, मृत व्यक्ति के नाम का किया इस्तेमाल
हुगली जिले के डानकुनी शहर में पिछले 15 वर्षों से रह रहे एक बांग्लादेशी नागरिक को मृत व्यक्ति के नाम पर गणना पत्र भरते समय रंगे हाथों पकड़ा गया।;
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) के दौरान एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। हुगली जिले के डानकुनी शहर में पिछले 15 वर्षों से रह रहे एक बांग्लादेशी नागरिक को मृत व्यक्ति के नाम पर गणना पत्र भरते समय रंगे हाथों पकड़ा गया। आरोपी की पहचान नदीम सरदार के रूप में हुई है, जिसे मृत व्यक्ति के परिजनों ने रंगे हाथों पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, नदीम सरदार बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत आया था और सालों से यहां की पहचान प्रणाली का इस्तेमाल करके खुद को भारतीय साबित कर रहा था। वह एक मृत भारतीय नागरिक मोहसिन खान के नाम पर फॉर्म भरने की कोशिश कर रहा था, जिसकी मौत करीब नौ साल पहले हुई थी। यह मामला सामने आने के बाद चुनावी व्यवस्था और पहचान सत्यापन की सुरक्षा को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
आधार कार्ड बनवाकर बना ली पहचान
सूत्रों ने बताया कि करीब 15 साल पहले भारत आने के बाद नदीम ने गोबरा क्षेत्र में रहने वाले रोबिन नामक व्यक्ति को 4,000 रुपये देकर अपना आधार कार्ड बनवाया था। इसके बाद वह कोलकाता के पास डानकुनी में रहने लगा और भारतीय नागरिक के रूप में विभिन्न दस्तावेजों का उपयोग करता रहा।
नई चाल में उसने स्थानीय ब्लॉक लेवल ऑफिसर (बीएलओ) से मृतक मोहसिन खान का गणना पत्र प्राप्त किया और मतदाता सूची में अपना नाम शामिल कराने की कोशिश की। लेकिन मोहसिन खान के परिवार ने फॉर्म पर दर्ज जानकारी देखकर धोखाधड़ी का संदेह जताया और तुरंत उसे पकड़ लिया। बाद में ग्रामीणों ने नदीम को पुलिस के सुपुर्द कर दिया।
पुलिस ने आरोपी नदीम और आधार कार्ड बनाने में मदद करने वाले रोबिन को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया। अब जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या इस नेटवर्क के जरिए और भी विदेशी नागरिक भारतीय पहचान प्राप्त कर रहे हैं।
निर्वाचन आयोग के AI ऐप पर TMC का सवाल
इस घटना के बीच तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर नए सवाल उठा दिए हैं। टीएमसी के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए चुनाव आयोग द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित एप्लीकेशन पर कड़ा सवाल उठाया।
गोखले ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा कि चुनाव आयोग ने बिना किसी जानकारी के रहस्यमयी AI ऐप के उपयोग की घोषणा की है। उन्होंने पूछा कि इस ऐप को किसने विकसित किया, इसकी कार्यप्रणाली क्या है, और डेटा किस तरह सुरक्षित रखा जाएगा, इस पर कोई आधिकारिक विवरण उपलब्ध नहीं है।
चुनाव आयोग ने AI ऐप का उद्देश्य फर्जी मतदाताओं की पहचान और सत्यापन को और अधिक मजबूत बनाना बताया था, लेकिन विपक्ष का दावा है कि बिना पारदर्शिता के इस तरह की तकनीक चुनावी प्रक्रिया में अविश्वास पैदा कर सकती है।
चुनावी सुरक्षा पर उठे सवाल
यह मामला न केवल पहचान सत्यापन की खामियों को उजागर करता है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र पर भी गंभीर संदेह पैदा करता है। एक विदेशी नागरिक द्वारा आधार कार्ड बनवाना और मृत व्यक्ति के नाम पर SIR फॉर्म भरना इस बात का संकेत है कि पहचान प्रणाली में loopholes अब भी मौजूद हैं।
वहीं, AI ऐप के उपयोग पर विवाद यह दर्शाता है कि तकनीक के इस्तेमाल में पारदर्शिता और जवाबदेही के बिना चुनावी प्रक्रिया को सुरक्षित नहीं माना जा सकता। प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन इस घटना ने चुनावी प्रणाली और नागरिक पहचान सुरक्षा पर नयी बहस छेड़ दी है।