क्या AI ले सकता है इंसान की जगह? इस स्वीडिश कंपनी ने 2 साल तक एआई से करवाया काम, जानें फिर क्या हुआ

इस कंपनी ने दो साल पहले अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था, जिसका अब उसे पछतावा हो रहा है।;

Update: 2025-05-19 07:33 GMT

नई दिल्ली। बढ़ती टेक्नोलॉजी के समय में आपने यह तो जरूर सुना होगा कि आर्टिफिश्यल इंटेलिजेंस (एआई) के आने से लोगों की नौकरियां चली जाएंगी। हालांकि, काफी हद तक एआई ने लोगों का काम आसान किया भी है। इसकी मदद से काम तेजी से होता है और नए प्रयोग भी किए जा रहे हैं। लेकिन अब एक ऐसी खबर सामने आई है, जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि एआई चाहे कितना भी उपयोगी हो, लेकिन इंसान की जगह नहीं ले सकता।

दरअसल, एक स्वीडिश कंपनी को एआई पर निर्भर होना भारी पड़ गया है। इस कंपनी ने दो साल पहले अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था, जिसका अब उसे पछतावा हो रहा है। इसलिए कंपनी ने फिर से अपने कर्मचारियों को वापस बुलाने का निर्णय लिया है।

एआई एजेंट के काम की गुणवत्ता होने लगी कम

स्वीडिश फिनटेक कंपनी क्लारना के सीईओ सेबेस्टियन सिएमियाटकोव्स्की का कहना है कि एआई एजेंट के काम की गुणवत्ता कम होने लगी है। अगर एक ब्रांड और कंपनी के नजरिए से देखा जाए तो आपको अपने ग्राहकों के सामने सभी जरूरी जानकारियां रखनी होंगी और यह काम सिर्फ एक इंसान कर सकता है। बेशक इसमें लागत ज्यादा आती है, लेकिन बजट कम करने के लिए कम गुणवत्ता वाले काम को अपनाना भी सही नहीं है।

क्या था कंपनी का मानना?

बता दें कि क्लारना कंपनी ने साल 2023 से लोगों को नौकरी देना बंद कर दिया था। दिसंबर 2022 तक इस कंपनी में कर्मचारियों की संख्या 5,527 थी, जो साल 2024 तक घटकर 3,442 हो गई। कंपनी का मानना था कि एआई वो सारे काम कर सकता है, जो कि एक इंसान। इसलिए कंपनी ने कर्मचारियों के ऊपर एआई को अहमियत दी और अपने बाकी कर्मचारियों के बीच भी एआई का उपयोग बढ़ा दिया। कंपनी का दावा है कि ऐसा करके उसने लगभग 10 मिलियन डॉलर की बचत की है। हालांकि, अब कंपनी फिर से मानव कर्मचारियों को बुलाना चाह रही है।

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