ChatGPT: आपका सुपरहीरो बना रहा आपको जीरो, ChatGPT इस्तेमाल करते हैं तो हो जाएं अलर्ट, जानें क्या हैं इसके नुकसान
ChatGPT को सहायक के रूप में देखें, बदलाव के रूप में नहीं, जब भी इसका इस्तेमाल करें, जवाबों को खुद जांचें और समझें।;
नई दिल्ली। अगर आप भी रोजाना ChatGPT का इस्तेमाल करते हैं, तो अब सावधान हो जाइये। हर रोज सभी आज की आधुनिक दुनिया में कभी काम के लिए, कभी पढ़ाई के लिए, तो कभी बस टाइम पास के लिए ChatGPT का इस्तेमाल करते हैं ये टूल जितना ताकतवर है, उतना ही खतरनाक भी हो सकता है। जैसे-जैसे लोग ChatGPT को हर सवाल का जवाब देने वाला सुपरहीरो मानने लगे हैं, वैसे-वैसे खुद सोचने और समझने की ताकत पर असर पड़ने लगा है। हालांकि यह सिर्फ एक टूल है, लेकिन कई लोग इसे अपना दिमाग बना चुके है। अगर आप बिना सोचे-समझे हर चीज के लिए AI की मदद ले रहे हैं, तो यह आपकी सोचने और निर्णय लेने की काबिलियत को कम कर रहा है।
ChatGPT के नुकसान
1. सोचने की ताकत करता है कमजोर
जब हम बार-बार किसी काम के लिए ChatGPT पर निर्भर होने लगते हैं, तो हमारा दिमाग 'शॉर्टकट मोड' में चला जाता है। जो काम हम खुद सोचकर कर सकते थे। जैसे कि तर्क लगाना, शब्दों को चुनना या विचार बनाना, वो अब मशीन कर देती है। नतीजा ये होता है कि धीरे-धीरे हमारी क्रिएटिव थिंकिंग कमजोर होने लगती है।
2. गलती या अधूरी जानकारी
बता दें कि ChatGPT जो जवाब देता है, वो हमेशा सही नहीं होता। कई बार इसमें गलती या अधूरी जानकारी हो सकती है लेकिन लोग इसे ही सच मान लेते हैं। इससे नकली ज्ञान का खतरा बढ़ जाता है।
3. लिखने और अभिव्यक्ति की क्षमता पर असर
जब हर लेख, असाइनमेंट या ईमेल के लिए हम AI पर निर्भर होते हैं तो खुद लिखने की आदत धीरे-धीरे छूट जाती है। भाषा पर पकड़ कम हो जाती है, साथ ही विचार व्यक्त करने की क्षमता कमजोर हो जाती है।
4. छात्रों के लिए चेतावनी की घंटी
बहुत से छात्र आज होमवर्क, एग्जाम प्रेपरेशन और प्रोजेक्ट्स के लिए सीधे AI की मदद ले रहे हैं। ये आदत उन्हें कम समय में स्मार्ट तो बना सकती है, लेकिन लंबे समय में सीखने की प्रक्रिया पर गहरा असर डालती है।
शोधकर्ताओं ने की रिसर्च
एमआईटी के शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक रिसर्च की यह पता लगाने के लिए कि क्या AI एक इंसान की सोचने और निर्णय लेने की काबिलियत को कम कर रहा है? शोधकर्ताओं ने स्टडी में यह पता लगाने की कोशिश की कि एआई की मदद लेकर लेखन करने वाले लोगों का दिमाग इससे कैसे प्रभावित हो रहा है।
कैसे की गई रिसर्च?
एमआईटी मीडिया लैब, वेलेस्ली कॉलेज और मासआर्ट के शोधकर्ताओं ने छात्रों से निबंध लिखने को कहा। कुछ छात्रों से चैटजीपीटी का उपयोग करने के लिए कहा गया। शोधकर्ताओं ने लिखते समय उनके दिमाग की गतिविधि को ट्रैक किया। इस रिसर्च का नेतृत्व नतालिया कोस्मिना और उनकी टीम ने किया था। इसका उद्देश्य यह समझना था कि एआई मॉडल वास्तव में हमारी क्रिटिकल थिंकिंग, मेमोरी और सीखने की क्षमताओं को कैसे प्रभावित कर सकते हैं। इस स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने बॉस्टन क्षेत्र के विश्वविद्यालयों से 54 प्रतिभागियों को भर्ती किया।
इन प्रतिभागियों को तीन समूहों में बांटा गया था। LLM समूह जिसने निबंध लिखने के लिए चैटजीपीटी का उपयोग किया। सर्च इंजन ग्रुप जिसने बिना किसी एआई के पारंपरिक वेब सर्च टूल का उपयोग किया। तीसरा ग्रुप वह था जिसने सिर्फ अपने दिमाग का इस्तेमाल किया और किसी बाहरी सहायता के निबंध लिखे।
पहले प्रतिभागियों ने अपने निर्धारित ग्रुप और विधि का इस्तेमाल करके तीन निबंध-लेखन सत्र पूरे किए। चौथे सत्र में एआई की मदद लेने वाले ग्रुप से सिर्फ दिमाग का इस्तेमाल करके निबंध लिखने को कहा गया। 'ब्रेन-ओनली' ग्रुप ने पहली बार चैटजीपीटी का उपयोग किया। हर सत्र के दौरान शोधकर्ताओं ने ईईजी के जरिए प्रतिभागियों के दिमाग की निगरानी की। बाद में इन निबंधों का विश्लेषण भी किया गया। मानव शिक्षकों के साथ-साथ एआई जज ने इन निबंधों का मूल्यांकन किया।