छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: 3200 करोड़ रुपये का मामला, 29 अधिकारी आरोपी, चौथी पूरक चार्जशीट दाखिल
EOW के अनुसार, चार्जशीट में आबकारी विभाग के 29 अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें से सात अधिकारी रिटायर हो चुके हैं।;
छत्तीसगढ़ आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने सोमवार को कथित शराब घोटाले में चौथी पूरक चार्जशीट रायपुर की विशेष अदालत में पेश की। यह घोटाला कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुआ था।
EOW के अनुसार, चार्जशीट में आबकारी विभाग के 29 अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें से सात अधिकारी रिटायर हो चुके हैं।
पहले अनुमान के मुताबिक घोटाले की रकम करीब 2161 करोड़ रुपये आंकी गई थी। इसमें अलग-अलग कमीशन और ड्यूटी न चुकाकर देशी शराब की अतिरिक्त बिक्री शामिल थी। लेकिन ताजा जांच में घोटाले की कुल रकम 3200 करोड़ रुपये से ज्यादा बताई गई है।
EOW ने बताया कि जिन 29 अधिकारियों पर आरोप है, वे 2019 से 2023 के बीच 15 जिलों में पदस्थ थे। इन जिलों में ड्यूटी चुकाई गई और ड्यूटी फ्री दोनों तरह की शराब सरकारी दुकानों से समानांतर बेची जाती थी।
कुछ अधिकारी राज्य स्तर पर इन जिलों से अवैध शराब बिक्री का समन्वय करते थे। हालांकि बस्तर और सरगुजा संभाग के जिले इस जांच में शामिल नहीं हैं, क्योंकि वहां देशी शराब की खपत ज्यादा होती थी।
EOW के मुताबिक, डिस्टिलरी से अतिरिक्त शराब बनाकर ट्रकों में लोड की जाती और 'आबकारी सिंडिकेट' के निर्देश पर सीधे सरकारी दुकानों में भेज दी जाती। इस शराब पर किसी भी तरह का सरकारी शुल्क या ड्यूटी नहीं दी जाती थी।
यह शराब 'बी-पार्ट शराब' कही जाती थी। इसकी बिक्री का पैसा अलग से इकट्ठा कर जिले के आबकारी प्रभारी अधिकारी के माध्यम से सिंडिकेट तक पहुंचाया जाता था।
करीब 200 लोगों के बयान और डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर EOW ने बताया कि करीब 60 लाख 50 हजार 950 बॉक्स देशी शराब, जिसकी कीमत करीब 2174 करोड़ रुपये थी, सरकारी दुकानों से बेची गई। इस रकम का हिस्सा जिले के अधिकारियों, कर्मचारियों और दुकानों के विक्रेताओं को मिलता था।
संगठन द्वारा विदेशी शराब पर लिए गए कमीशन की जांच अलग से की जा रही है।
अब तक राज्य की एजेंसी ने इस घोटाले में पांच चार्जशीट दाखिल की हैं, जिनमें चार पूरक चार्जशीट हैं, और 13 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार लोगों में कांग्रेस विधायक और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, अनिल तुतेजा, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी और विजय भाटिया शामिल हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) के मुताबिक यह घोटाला 2019 से 2022 के बीच हुआ, जब राज्य में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी।