AQI की गुणवत्ता को लेकर कांग्रेस ने किया केंद्र पर हमला! कहा- वायु प्रदूषण से अब दिमाग और शरीर को भी है खतरा, जानें 2025 के मानक रिपोर्ट ...
भारत का वायु प्रदूषण संकट केवल सांस की समस्या तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह हमारे दिमाग और शरीर को भी आघात पहूंचा रहा है;
नई दिल्ली। इन दिनों लोग वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हैं, ठंढ आते ही इसका प्रकोप अधिक हो जाता है। उत्तर भारत में खासकर दिल्ली-एनसीआर में स्थिति सबसे अधिक खराब है। यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक लगातार 300-400 के स्तर पर टिका हुआ है। इसी कड़ी में कांग्रेस ने आज यानी रविवार को इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते हुए निशाना साधा है। कांग्रेस ने कहा कि भारत का वायु प्रदूषण संकट केवल सांस की समस्या तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह हमारे दिमाग और शरीर को भी आघात पहूंचा रहा है। इस सिलसिले में पार्टी ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम को पूरी तरह संशोधित कर एनएएक्यूएस को तत्काल अपडेट करने को कहा है।
जयराम रमेश ने कहा
कांग्रेस के संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि वायु प्रदूषण एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा और राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा बन गया है। यह समाज के स्वास्थ्य और भविष्य के लिए गंभीर चुनौती है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि भारत का वायु प्रदूषण संकट अब सिर्फ सांस लेने की बीमारी नहीं रही। यह अब हमारे दिमाग और शरीर पर सीधा हमला बन गया है।
2025 के रिपोर्ट का दिया हवाला
जयराम रमेश ने आगे कहा कि स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2025 रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2023 में भारत में लगभग 20 लाख मौतें वायु प्रदूषण से हुई थीं, जो कि वर्ष 2000 के मुकाबले 43 प्रतिशत की अधिक है। उन्होंने आगे कहा कि इनमें से करीब 90 प्रतिशत मौतें गैर-संक्रामक बीमारियां जैसे हृदय रोग, फेफड़ों के कैंसर, मधुमेह आदि जैसी बीमारियों से जुड़ी थीं।
भारत में लगभग 70 प्रतिशत क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से लोग जूझ रहे हैं
उन्होंने आंकड़े को लेकर कहा कि भारत में वायु प्रदूषण से प्रति एक लाख आबादी पर लगभग 186 मौतें दर्ज होती हैं, जो कि उच्च आय वाले देशों की तुलना में दस गुना अधिक हैं। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण से भारत में लगभग 70 प्रतिशत क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, 33 प्रतिशत फेफड़ों के कैंसर, 25 फीसदी हृदय रोग और 20 फीसदी मधुमेह से लोग जूझ रहें हैं।
सूक्ष्म कण से मस्तिष्क को पहुंचता है नुकसान
उन्होंने आगे कहा कि सूक्ष्म कण के संपर्क लंबे समय तक रहने से मस्तिष्क को नुकसान होता है। साल 2023 में विश्वभर में डिमेंशिया से हुई 6.26 लाख मौतें वायु प्रदूषण से जुड़ी पाई गईं। उन्होंने कहा कि भारत में पीएम 2.5 का मानक डब्ल्यूएचओ के वार्षिक मानक से आठ गुना और 24 घंटे के मानक से चार गुना अधिक है।