जानलेवा कोहरा बना राष्ट्रीय चुनौती! जानें भयावह आंकड़े, नुकसान और भविष्य की चेतावनी

Update: 2025-12-18 13:30 GMT

डॉ. चेतन आनंद

नई दिल्ली। भारत में सर्दी का मौसम आते ही एक अदृश्य लेकिन अत्यंत घातक संकट जन्म लेता है, घना कोहरा। यह केवल मौसम की सामान्य स्थिति नहीं रहा, बल्कि अब यह जान-माल के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। हर वर्ष दिसंबर से जनवरी के बीच देश के अनेक हिस्सों में कोहरा सड़क, रेल और हवाई यातायात को बुरी तरह प्रभावित करता है। इसके कारण सैकड़ों लोग अपनी जान गंवाते हैं और हजारों घायल होते हैं। हाल के वर्षों में कोहरे से जुड़ी दुर्घटनाओं के आंकड़े इस समस्या की भयावहता को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं।

भारत में कोहरे से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र

उत्तर भारत सबसे अधिक प्रभावित-दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तराखंड के तराई क्षेत्र कोहरे से सबसे अधिक प्रभावित रहते हैं। दिल्ली, नोएडा, ग़ाज़ियाबाद, गुरुग्राम और फ़रीदाबाद में कई बार दृश्यता 20 से 50 मीटर तक सिमट जाती है। उत्तर प्रदेश के आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, यमुना एक्सप्रेसवे, मेरठ, मुरादाबाद, बरेली और कानपुर क्षेत्र में कोहरे के कारण बार-बार बड़े हादसे होते हैं। हरियाणा के करनाल, पानीपत, रोहतक, अंबाला और रेवाड़ी तथा पंजाब के लुधियाना और जालंधर में भी कोहरा जानलेवा साबित होता है।

अन्य क्षेत्र-उत्तराखंड के रुद्रपुर, काशीपुर, हरिद्वार जैसे तराई इलाकों में सुबह के समय घना कोहरा जनजीवन ठप कर देता है। हाल के वर्षों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में भी कोहरे से दुर्घटनाएँ दर्ज की गई हैं।

कोहरे से होने वाली दुर्घटनाओं के भयावह आंकड़े

सरकारी और मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कोहरा अब एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा संकट बन चुका है। भारत में हर साल 30,000 से अधिक सड़क दुर्घटनाएँ सीधे तौर पर कोहरे या अत्यधिक धुंध के कारण होती हैं। औसतन सर्दियों के मौसम में प्रतिदिन 14 लोगों की मौत कोहरे से जुड़ी दुर्घटनाओं में होती है। वर्ष 2019 में कोहरे के कारण लगभग 35,600 से अधिक सड़क हादसे दर्ज किए गए। वर्ष 2020 में यह संख्या घटकर 26,500 के आसपास रही, लेकिन इसके बाद फिर बढ़ने लगी। 2014 से 2021 के बीच कोहरे से जुड़ी दुर्घटनाओं में 5,700 से अधिक लोगों की मौत और 4,000 से अधिक लोग घायल हुए। अकेले 2021 में कोहरे से संबंधित सड़क हादसों में 13,000 से अधिक लोगों की जान गई।

हालिया घटनाएँ-यमुना एक्सप्रेसवे पर कोहरे के कारण हुई एक भीषण दुर्घटना में 13 लोगों की मौत और 100 से अधिक लोग घायल हुए। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर कोहरे से हुई चेन-कोलिजन में 4 लोगों की जान चली गई। उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड में केवल कुछ ही दिनों में कोहरे से 20 से अधिक मौतें दर्ज की गईं। ये आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि कोहरा केवल असुविधा नहीं, बल्कि घातक आपदा बन चुका है।

जान-माल और आर्थिक नुकसान

सड़क दुर्घटनाएँ- कोहरे में दृश्यता अचानक बहुत कम हो जाती है। चालक आगे चल रहे वाहन, मोड़ या अवरोध को समय पर नहीं देख पाते, जिससे मल्टी-व्हीकल टक्कर, बस और ट्रक पलटना, दोपहिया वाहन चालकों की मौत, पैदल यात्रियों का कुचला जाना जैसी घटनाएँ होती हैं।

रेल और हवाई यातायात-कोहरे के कारण ट्रेनें कई-कई घंटे लेट होती हैं, सैकड़ों उड़ानें देरी से चलती हैं या रद्द हो जाती हैं, यात्रियों को भारी असुविधा और आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है। आर्थिक प्रभाव माल ढुलाई प्रभावित होती है। उद्योगों और व्यापार की गति धीमी पड़ जाती है। स्कूल, कॉलेज और कार्यालय देर से खुलते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार कोहरा हर वर्ष हजारों करोड़ रुपये का अप्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान करता है।

स्वास्थ्य पर असर-कोहरा जब प्रदूषण के साथ मिलकर स्मॉग बनता है, तब दमा और अस्थमा के मरीजों की हालत बिगड़ती है। आँखों में जलन, एलर्जी और साँस की तकलीफ़ बढ़ती है। बच्चों और बुज़ुर्गों को विशेष खतरा होता है।

कोहरे के प्रमुख कारण

1. तापमान में तेज़ गिरावट

2. हवा की गति का कम होना

3. वातावरण में अधिक नमी

4. प्रदूषण और धूल कण

5. बढ़ता शहरीकरण और वाहन उत्सर्जन

प्रदूषण कोहरे को अधिक घना और लंबे समय तक टिकाऊ बना देता है, जिससे खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

कोहरे में सुरक्षा के आवश्यक उपाय-सड़क पर वाहन धीमी गति से चलाएँ। फॉग लाइट और लो-बीम हेडलाइट का प्रयोग करें। हाई-बीम का उपयोग न करें। आगे चल रही गाड़ी से पर्याप्त दूरी रखें। अत्यधिक कोहरे में यात्रा टाल दें। यात्रा से पहले मौसम विभाग की चेतावनी देखें। रात और सुबह तड़के यात्रा से बचें। वैकल्पिक समय और मार्ग अपनाएँ।

- स्वास्थ्य सुरक्षा

- बुज़ुर्ग, बच्चे और श्वास रोगी सुबह बाहर न निकलें

- मास्क और चश्मे का उपयोग करें

भविष्य में कोहरे की स्थिति-मौसम विशेषज्ञों के अनुसार जलवायु परिवर्तन और बढ़ते प्रदूषण के कारण आने वाले वर्षों में कोहरे की अवधि और तीव्रता बढ़ सकती है। उत्तर भारत में लंबे समय तक घना कोहरा छाया रह सकता है। दुर्घटनाओं का जोखिम और बढ़ेगा। यदि प्रदूषण नियंत्रण, सड़क सुरक्षा तकनीक और जन-जागरूकता पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो कोहरा भविष्य में और अधिक जानलेवा बन सकता है। कोहरा अब मौसम की साधारण घटना नहीं, बल्कि एक गंभीर राष्ट्रीय चुनौती बन चुका है। हर साल हजारों दुर्घटनाएँ, सैकड़ों मौतें और भारी आर्थिक नुकसान इसकी भयावहता को दर्शाते हैं। सरकार, प्रशासन और नागरिक तीनों की संयुक्त जिम्मेदारी है कि सावधानी, तकनीक और जागरूकता के माध्यम से इस संकट से निपटा जाए। कोहरे में सावधानी ही जीवन की सुरक्षा है।



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